#VaccinationDrive: देश में निजी अस्पतालों को वैक्सीनेशन ड्राइव में शामिल करने के बाद वैक्सीनेशन तेज़ी से होना शुरू हो गया है। गुरुवार को एक दिन में सबसे ज्य़ादा लगभग 11 लाख लोगों को वैक्सीन लगी है। अभी तक कुल 1.70 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। अभी तक सरकार वैक्सीनेशन के अपने लक्ष्य से पीछे चल रही थी। लेकिन अब इसमें काफी तेज़ी आ गई है। उधर दूसरी ओर अफ्रीकी देशों में जिम्बाबे पहला ऐसा देश भी हो गया है। जिसने कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
सोमवार से शुरू हुए वैक्सीनेशन के नए चरण में 60 साल के बुजर्गों के साथ साथ 45 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है। हालांकि 45 से ऊपर लोगों को कुछ बीमारियों के बाद ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
कोर्ट ने पूछा सवाल
दूसरी ओर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब भारत में वैक्सीन की जरूरत है तो इसपर नियंत्रण क्यों रखा जा रहा है। जबकि विदेशों को हम वैक्सीन सप्लाई कर रहे हैं। दरअसल फिलहाल देश में वैक्सीन सरकार की गाइडलाइंस के तहत ही लग रही है। यानि सरकार ही तय कर रही है कि वैक्सीन कैसे लगाई जाए। इसके लिए को-विन नाम का एक एप विकसित किया गया है। जिसपर रजिस्टर करके वैक्सीनेशन कराया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने ज्यूडिशयल सिस्टम में काम करने वाले लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर माने जाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये कहा। इस याचिका में जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों का वैक्सीनेशन कराने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में खुद ही संज्ञान लिया है। वहीं, केंद्र और दिल्ली सरकार समेत कोरोना वैक्सीन बना रहीं भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किए हैं।
कोर्ट ने कोरोना वैक्सीन बना रहीं भारत बायोटेक (कोवैक्सिन) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (कोवीशील्ड) से एफिडेविट के जरिए वैक्सीन बनाने की कैपिसिटी बताने को कहा है।
उधर सरकार ने लोगों को वैक्सीन को लेकर अफवाहों पर ध्यान ना देने की अपील की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 की वैक्सीन से बांझपन का खतरा कतई नहीं है। कोई भी वैक्सीन प्रजनन को प्रभावित नहीं करती। सभी वैक्सीन का पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है और अगर उन पर कोई प्रतिकूल असर नहीं दिखता है तब मनुष्यों पर परीक्षण किया जाता है। वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति तभी दी जाती है, जब वह सुरक्षित व प्रभावी पाई जाती है।