#SachinVaze: शिवसेना के ख़ास हैं, पुलिस अधिकारी सचिन वझे

#ShivSena: मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटकों से भरी कार के मालिक की हत्या में घिरे पुलिस अधिकारी सचिन वझे की महाराष्ट्र की राजनीति में ख़ासी पहचान रही है। बाला साहेब ठाकरे खुद इस पुलिस अधिकारी के कारनामों की चर्चा सार्वजनिक तौर पर कर चुके थे। वझे शिवसेना के प्रवक्ता भी रह चुके हैं और मुंबई के टॉप एनकाउंटर कॉप भी सचिन वझे रह चुके हैं।

एक समय था जब सचिन वझे बाला साहब ठाकरे के बेहद करीब हुआ करते थे। बाला साहब ठाकरे कई बार सचिन वझे के अपराधियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की सार्वजनिक तौर पर सराहना कर चुके थे। नौकरी से कई बार सस्पेंड होने के बाद सचिन वझे को शिवसेना ने दो बार यानी 2005 और 2007 में फिर से पुलिस डिपार्टमेंट में लाने की कोशिश की। पूर्व CM फडणवीस ने आरोप लगाया है कि वझे को बहाल करने के लिए शिवसेना के नेता लगातार दबाव बनाते थे। लेकिन जब वझे को पुलिस फोर्स में एंट्री नहीं हुई तो 2008 में उन्होंने दशहरा रैली के मौके पर शिवसेना ज्वॉइन कर ली।

सचिन वझे 1990 में सब-इंस्पेक्टर के रूप में महाराष्ट्र पुलिस बल में शामिल हुए थे। उनकी पहली पोस्टिंग गढ़चिरौली के माओवाद प्रभावित क्षेत्र में हुई थी। दो साल बाद उन्हें ठाणे शहर पुलिस में शिफ्ट कर दिया गया था। वझे ने 63 से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर किए थे। उसने मुन्ना नेपाली जैसे कुख्यात गैंगस्टर को ठिकाने लगाने के बाद शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच चुके सचिन वझे, शिवसेना समेत कई नेताओं के काफी करीब थे। वो कई पत्रकारों के भी चहेते थे।

ऐसा कहा जाता है कि सचिन वझे को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) में प्रदीप शर्मा लेकर आए थे। शर्मा तब CIU के इंचार्ज हुआ करते थे। उनकी पत्रकारों से अच्छी दोस्ती थी। कहा जाता है कि एक पत्रकार के कहने पर ही वझे को यहां लाया गया था। सचिन वझे इसके बाद प्रदीप शर्मा के बेहद करीब हो गए और उनकी टीम के दया नायक और उनके बीच एनकाउंटर कॉम्पिटिशन बढ़ता गया।

बाद में एक केस में वझे को सस्पेंड कर दिया। हाल ही में वझे को 7 जून 2020 को मुंबई पुलिस में वापस रखने का फैसला एक रिव्यू कमेटी द्वारा लिया गया। इस रिव्यू कमेटी के प्रमुख परमवीर सिंह थे। उस दौरान यह कहा गया कि कोविड की वजह से मुंबई पुलिस बल को ज्यादा पुलिसकर्मियों की जरूरत है। इससे पहले जब परमवीर सिंह ठाणे पुलिस के कमिश्नर थे, तब भी उन्होंने सितंबर 2017 में प्रदीप शर्मा को एंटी एक्सटॉर्शन सेल में वापस रखा था। प्रदीप शर्मा भी फर्जी एनकाउंटर के मामले में पुलिस विभाग से सस्पेंड थे। बाद में शर्मा ने साल 2019 में शिवसेना के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था।

 

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