#MukeshAmbani: मनसुख ने कार की चाबी वझे को सौंप लिखवाई थी चोरी की एफआईआर

#MumbaiPolice: मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोट से भरी कार खड़ी करने के मामले में एक सीसीटीवी फुटेज सामने आई है। जिसमें साफ दिख रहा है कि 17 फरवरी को सचिन वझे और मनसुख मिले थे। दोनों  CST रेलवे स्टेशन के बाहर मिले थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस मुलाकात के दौरान ही मनसुख ने स्कॉर्पियो की चाबी वझे को सौंप दी थी और फिर पुलिस से स्कॉर्पियो चोरी होने की शिकायत कर दी थी।

ये वही स्कॉर्पियो थी, जिसमें विस्फोटक रखकर मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के सामने खड़ी कर दी थी। जो फुटेज सामने आया है। उसमें साफ है कि मनसुख एक सफेद रंग की कार में CST रेलवे स्टेशन के बाहर उतरता है। थोड़ी देर में सचिन वझे की नीले रंग की ऑडी आती है, वो ट्रैफिक सिग्नल पर रुकती है जिसमें मनसुख हिरेन बैठ जाते हैं।इससे साफ हो जाता है कि दोनों ने मिलकर ये साजिश रची थी। जिसमें हिरेन ने जानबुझकर गाड़ी की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई और फिर वझे ने आगे इस गाड़ी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ा किया। NIA के सूत्रों के मुताबिक इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो रखने की साजिश सचिन वझे ने ही रची थी। ये कार 25 फरवरी की रात मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ी की गई थी। इसमें जिलेटेन की 20 रॉड पाई गई थीं। इस कार के पीछे एक इनोवा कार CCTV में दिखी थी वह क्राइम इन्वेस्टिगेशन यूनिट (CIU) की ही थी और बाद में भी पता चल गया कि उसे CIU का पुलिसकर्मी ही चला रहा था। NIA की जांच में यह साफ हो गया है कि वझे ही स्कॉर्पियो चला कर ले गए और उसे पार्क करने के बाद निकल कर इनोवा में बैठ कर फरार हुए।

इससे पहले सचिन वझे ने अपनी जमानत अर्जी में कहा था कि उन्हें फंसाने के लिए FIR दर्ज की गई। मनसुख हिरेन जब लापता हुए और उनकी कथित रूप से हत्या कर दी गई, उस समय वे (वझे) दक्षिण मुंबई के डोंगरी में थे। सचिन वझे ने गिरफ्तारी से एक दिन पहले यानी 12 मार्च को ठाणे सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। इसमें वझे ने कहा कि महाराष्ट्र ATS द्वारा दर्ज की गई FIR आधारहीन और उद्देश्यहीन है। FIR में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। हालांकि, तब अदालत ने उनकी अर्जी पर फैसला नहीं दिया था।

सूत्रों के मुताबिक अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो पार्क करने की साजिश वझे ने रची थी। उसकी इस साजिश का मुख्य गवाह मनसुख था। मनसुख ने वझे को इस पूरी साजिश में मदद भी की थी। लेकिन जब ये मामला बड़ा बन गया और इसकी जांच NIA को सौंप दी गई तो वझे को लगा कि अब राज खुल सकता है। लिहाजा उसने मनसुख की हत्या की योजना बनाई और 4 मार्च की रात 8.30 बजे सस्पेंड सिपाही विनायक शिंदे के जरिए मनसुख को बुलाया गया। फिर 5 मार्च को मुंब्रा के पास समुद्र किनारे मनसुख की लाश मिली थी। सूत्रों के मुताबिक मनसुख का मुंह और हाथ बांधकर उसे जिंदा ही खाड़ी में फेंक दिया गया। ATS से पहले ही NIA को मनसुख की हत्या के अहम सबूत मिल गए थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मनसुख मामले की जांच NIA को सौंपने के कुछ ही घंटों में ATS ने दो लोगों को गिरफ्तार कर मामले को सुलझा लेने का दावा किया था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *