#HumanRights: चीन फिर कर सकता है गलवान जैसी हरकत: तिब्बत प्रेसिडेंट

#TibbetHumanRights: चीन की चालबाजियों से भारत सरकार को चेताते हुए तिब्बत सरकार (गर्वमेंट इन एक्साइल) के प्रेसिडेंट लोबसेंग सांगे ने कहा है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज नहीं आएगा और डोकलाम और गलवान जैसी हरकतें वो करता रहेगा। तिब्बत समेत 7 देशों पर सेंट्रल फॉर डेमोक्रेसी प्लूरिज्म एंड ह्यूमन राइट्स (CDPHR) की रिपोर्ट रिलीज करते हुए सांगे ने ये कहा।

दरअसल इन सात देशों में मानवाधिकार की स्थियों को लेकर एक बड़ी रिपोर्ट CDPHR ने तैयार की है। जिनमें इन देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इन रिपोर्टस को तिब्बत सरकार (गर्वमेंट इन एक्साइल) के प्रेसिडेंट लोबसेंग सांगे, पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के जी बालाकृष्णन और श्रीराम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर परमजीत सिंह जेसवाल ने रिलीज किया। इस मौके पर बोलते हुए सांगे ने कहा कि जब चीन ने गलवान वैली में भारतीय सीमा का अतिक्रमण किया था। उससे ठीक एक साल पहले 2019 में चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग भारत आए थे। जिस तरह की परिस्थितियां गलवान वैली और उसके आसपास हैं, वहां पर चीन को 30 हज़ार सैनिक और अन्य साजो सामान जुटाने के लिए कम से कम एक साल चाहिए। तो आप समझ सकते हैं कि जब तमिलनाडू में चीन के राष्ट्रपति भारत में कई समझौते कर रहे थे, उस वक्त चीन की सेना गलवान की तैयारियों में लगी हुई थी। इसलिए चीन से सावधान रहना बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि जब चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा किया था तो उस वक्त ही सरदार बल्लबभ भाई पटेल ने इसको लेकर चेताया था। लेकिन भारत सरकार के चीन को लेकर चुप रहने के कारण ही आज वो कशमीर से लेकर अरूणाचल तक के इलाके की सीमा पर आपको परेशान कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि तिब्बत दक्षिण एशिया का वाटर टावर है और अब चीन इसको डिस्टर्ब करने में लगा हुआ है। वो ब्रहमपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने में लगा हुआ है। अगर ऐसा होता है तो भारत और बांग्लादेश का एक बड़ा इलाके के पानी को वो बहने से रोक देगा और इससे मानवजाति को नुकसान होगा।

इन रिपोर्ट्स के बारे में बताते हुए CDPHR की अध्यक्ष डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा ने बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार लगातार बढ़ रहा है। 200 से ज्य़ादा परिवार रोज़ाना वहां से भाग रहे हैं। ऐसे में अगले 25 सालों में पूरे बांग्लादेश में एक भी हिंदु नहीं बचेगा। इसी तरह की स्थिति अफगानिस्तान में हैं। वहां भी अब सिर्फ 200 हिंदु-सिख परिवार बचे हैं। पाकिस्तान में भी बहुत ही तेज़ी से हिंदुओं को या तो मुस्लिम बनाया जा रहा है या फिर उन्हें मारा जा रहा है।

CDPHR ने तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गहन रिसर्च कर ये रिपोर्ट तैयार की हैं।

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