#RohingyaRefugeeSatus: देश में रोहिंग्या को रिफ्यूजी स्टेट्स देने में काफी बड़ा घोटाला चल रहा है। देश में रोहिंग्या रिफ्यूजी बनाने का काम दो एनजीओ कर रहे हैं, जोकि ये काम UNHCR के निर्देशों पर ये काम कर रहे हैं। यानि देश में कौन रिफ्यूजी होगा, इसको तय HRLN और SLIC नामक दो एनजीओ कर रहे हैं और इस काम के लिए इन्हें विदेशी संस्थाओं से खासा पैसा भी मिल रहा है। इस प्रोसेस की खामियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मामले में एक इंटरवेंशन पिटिशन लगाई गई है। पिटिशन को लगाने वाले एडवोकेट पंकज सिंह के मुताबिक इस प्रोसेस में खामियां ही खामियां हैं।
पंकज के मुताबिक रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस HRLN और SLIC नाम के एनजीओ कर रहे हैं। जोकि यूनाइटिड नेशनल हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) की निगरानी में ये काम करती हैं। उसके बाद एक आइटेंडिफिकेशन और वेरिफिकेशन प्रोसेस होता है, इसके बाद ही विदेश से आए किसी व्यक्ति का रिफ्यूजी स्टेट्स तय होता है। लेकिन इस पूरे प्रोसेस में भारत सरकार का कोई रोल ही नहीं है। यानि ये दोनों एनजीओ तय करते हैं कि कौन रिफ्यूजी बनेगा और कौन नहीं। ख़ास बात ये है कि HRLN और SLIC दोनों ही एनजीओ से काफी सारे एडवोकेट और पूर्व जज जुड़े हुए हैं। अगर इन संस्थाओं की बेलेंस शीट देखी जाए तो काफी फंड विदेशी संस्थाओं से इन्हें मिल रहा है। इसके साथ ही UN से भी रिफ्यूजी बनाने के लिए काफी फंड आ रहा है। इसी फंड का इस्तेमाल काफी जगह रोहिंग्या को बचाने के लिए भी हो रहा है।
UNHCR के कानूनी सेवाओं से जुड़े रहे वकील पंकज सिंह बताते हैं कि देश में रिफ्यूजी बनाने का पूरा सिस्टम ये दो एनजीओ चला रहे हैं। जबकि दुनिया के किसी देश में ऐसा नहीं होता है। भारत सरकार ना तो इनका कोई वेरिफिकेशन करती है और ना ही UNHCR इनके बारे में भारत सरकार को कोई जानकारी देता है। पहले भी कई रोहिंग्या आतंकवादी संगठनों से जुड़े हुए मिले हैं। जोकि रिफ्यूजी स्टेट लिए हुए थे। पंकज के मुताबिक दूसरे देशों में रिफ्यूजी की पहचान का काम वहां खुद सरकार करती है, क्योंकि यही सबसे बड़ा काम है। फिलहाल हमारे देश में ये रिफ्यूजी निर्धारण के काम में बहुत सारी खामियां है। चुंकि ये काम यहां एनजीओ कर रहे हैं, जोकि UNHCR के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं। लेकिन ना तो रिफ्यूजी निर्धारण करने में ये ठीक के जांच करते हैं और ना ही कोई क्रास सवाल करते है। अफगानिस्तान, सुडान और ईरान जैसे देशों के लोग जो यहां रिफ्यूजी स्टेटस के लिए आते हैं, वो अपना पासपोर्ट जमा कराते हैं। लेकिन रोहिंग्या मामले में इनको बिना किसी वैलिड कागज के रिफ्यूजी का स्टेट दे दिया जाता है। चुंकि इनके पास कोई कागज नहीं होता है। लिहाजा इनको रिफ्यूजी घोषित करने का काम बहुत ही फास्ट ट्रैक होता है। एक दिन में 10 से 15 लोगों का इंटरव्यू होता है। काफी सरल तरीके से इनका इंटरव्यू होता है। इसके बाद इनको रिफ्यूजी स्टेट दे दिया जाता है।