#RTPCRFailed: दिल्ली के मालविया नगर में रहने वाली रश्मि की अगले कुछ दिनों में शादी होने वाली थी। लेकिन शादी की खरीदारी के दौरान ही रश्मि के पूरे परिवार की तबियत खराब हो गई। एक प्राइवेट लैब से रश्मि के पिता ने आरटीपीसीआर टेस्ट कराया। लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई। बाद में डॉक्टर ने सिटी स्कैन बताया। जिसमें फेफड़ों में इन्फेक्शन मिला। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उन्हें बचाया नहीं जा सकेगा।
एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले सत्यप्रकाश को भी बुखार था। लेकिन आरटीपीसीआर में वो निगेटिव आ रहे थे। सांस लेने में उन्हें परेशानी हो रही थी। बाद में डॉक्टर ने सीटी स्कैन किया तो दोनों फेफड़े में 80% इन्फेक्शन बताया गया। समय पर इलाज की वजह से उनकी जान बच गई। दोनों ही मामलों में RT-PCR कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हुई। दूसरी कोरोना वेव में ये साफ हो रहा है कि आरटीपीसीआर में कोरोना वायरस का पता नहीं चल रहा है। बल्कि सीटी स्कैन से पता चल रहा है कि फेफड़ों में इंफेक्शन हुआ है या नहीं। इसकी वजह से जब तक CT स्कैन कराया जाता है, तब तक फेफड़े को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। इसकी वजह कोरोना के वैरिएंट्स हो सकते हैं। जिसके बारे में केंद्र सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि देश के 18 राज्यों में कोरोना के वैरिएंट्स मिले हैं। इनमें ब्राजील, UK और दक्षिण अफ्रीका में मिले वैरिएंट्स शामिल हैं। कुछ मामलों में इसे डबल म्यूटेशन कहा जा रहाहै। यह बहुत ही ज्यादा संक्रामक है। सबसे खतरनाक डबल म्यूटंट वैरिएंट महाराष्ट्र में मिला था, जिसमें दो जगहों पर बदलाव हुए हैं।
खास बात यह है कि RT-PCR को कोरोना वायरस की जांच में अभी तक ज्य़ादा सटीक था। वो भी इस वायरस को पकड़ने में नाकामयाब हो गया है। दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टर अजय कुमार के मुताबिक पिछले हफ्ते कई ऐसे मामले आए जिनमें लोगों के CT स्कैन में फेफड़े में काफी इन्फेक्शन नजर आया और डॉक्टरों ने गंभीर केस बताया, लेकिन जांच में कोरोना निगेटिव निकला। ऐसे में कोरोना के लक्षण होने पर तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए।
दिल्ली के बदरपुर में मरीजों के जांच में लगी डॉक्टर मुक्ता ने बताया कि कोरोना वायरस एक RNA प्रोटीन है और इसमें लगातार बदलाव हो रहे हैं। इनमें और इंसानी शरीर में होने वाले प्रोटीन में अंतर कर पाना मुश्किल हो रहा है। इसी वजह से रैपिड एंटीजन और RT-PCR टेस्ट भी कोरोना पॉजिटिव बताने में नाकाम साबित हो रहे हैं। चेस्ट इन्फेक्शन से ही पता चल रहा है कि पेशेंट को कोरोना वायरस इन्फेक्शन हुआ है।