#FarmersProtest: दिल्ली बार्डर पर किसान संगठनों के लिए टेंट, खाना और अन्य सुख सुविधाएं देने वाली संस्थाएं कोरोना की इस दूसरी लहर में आम लोगों की मदद के नाम पर गायब हो गई हैं। जिस समय दिल्ली के चारों तरफ किसान संगठनों ने तीन कानूनों के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। उस समय कई देशी और विदेशी संगठन इन किसानों को टेंट, फाइव स्टार खाना, मसाज मशीन, गीजर और बहुत सारी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे थे। कुल मिलाकर करीब 50 हज़ार से ज्य़ादा लोगों के लिए लगातार ये सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थी। लेकिन अन्नदाता के नाम पर चल रहे सरकार के खिलाफ उस आंदोलन की फंडिंग करने वाले अब आम लोगों की मदद के नाम पर गायब हो गए हैं।
जिस समय आंदोलन अपने चरम पर था, उस समय वहां कनाडा, यूके समेत कई देशों से काफी फंडिंग मिल रही थी। जिनसे गाजीपुर और सिंधु बार्डर समेत कई और स्थानों पर रहने के लिए टेंट, खाने के लिए तरह तरह के पकवान, सोने के लिए गद्दे, पैरों के लिए मसाज मशीन, बीमार होने पर दवाएं और डॉक्टर तक का बंदोबस्त किया जा रहा था। लेकिन अब ये संगठन जो यहां काम कर रहे थे। वो कोरोना मरीजों की मदद करने की बजाए गायब हो गए हैं।
उस समय भी देश में कोरोना था और सरकार ने लगातार वहां धरन पर बैठे किसानों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा था। लेकिन किसानों ने सरकार की बात को नजरअंदाज करते हुए इसको आंदोलन खत्म करने की साजिश बताया था। इस बारे में दिल्ली के सांसद रमेश बिधुड़ी ने बताया कि अब किसानों को उनकी फसल के पैसे सीधे उनके अकाउंट में मिल रहे हैं। ऐसे में जितने भी दलाल थे, उनको तो गायब होना ही था। ये मोदी सरकार है, जिसने किसानों को उनकी फसल का हक दिलवाया है। पहले किसान को फसल बेचने के बाद भी कई महीनों के बाद पैसे मिलते थे। साथ ही बिचौलिये उनमें से कमीशन भी काटते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। लिहाजा जो लोग किसान आंदोलन की फंडिंग का काम कर रहे थे। वो गायब हो गए हैं। वो एक विशेष उद्देश्य से ये काम कर रहे थे।
इस बारे में मीडिया एक्सपर्ट भूपेंद्र सोनी ने बताया कि चाहे शाहीन बाग हो या फिर किसान आंदोलन इसके लिए काफी फंडिंग आई थी। जोकि केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने के लिए आई थी। जिसपर कई एनजीओ और नेताओं ने लोगों को भड़काया था। जिसमें दंगे भी हुए और 50 से ज्य़ादा लोग भी मारे गए। किसान आंदोलन की वजह से कई महीनों से लोग आने जाने में परेशान हो रहे हैं। अब जब कोरोना की दूसरी लहर चल रही है तो जो टेंट और अन्य फाइव स्टार सुविधाएं किसानों को दी गई थी। वो आम मरीजों को देने के लिए भी इन संगठनों को आगे आना चाहिए था। लेकिन ये सब लोग गायब हो गए हैं।