#Ayurveda: भाप के जरिए कोरोना के प्रकोप को किया जा सकता है कम

#SteamTherapy: कोरोना महामारी में संक्रमित व्यक्ति को सबसे ज्य़ादा नुकसान पहुंचाने वाली बात उसके फेफड़ों में इंफेक्शन है। जिसको सामान्य भाषा में बलगम कहा जाता है। ये बलगम फेफड़ों के ऊपर जमा हो जाता है और इससे फेफड़ों को फूलना और सिकुड़ना कम हो जाता है। इसी वजह से उसकी ऑक्सीजन लेने की क्षमता पर असर आ जाता है और मरीज को सांस लेने में दिक्कत महसूस करने लगती है। लिहाजा कोरोना में भाप लेना इलाज का एक महत्वपूर्ण तरीका है। आयुर्वेद के मुताबिक भाप लेने से सांस, मुंह और फेफड़ों तक में गरमाहट आती है और फेफड़ों पर जमने वाले बलगम को ये पिघलाने में मदद करती है।

भाप बंद नाक खोलने के साथ गले और फेफड़े के लिए एक तरह से क्लिनिंग का काम करती है। डॉक्टर कृतिका के मुताबिक भाप लेने से गले और नाक की नलियां खुल जाती हैं। साथ ही ये कफ बनने से रोकने में मदद करती है और सांस लेने में होने वाली तकलीफों को दूर करती है। लिहाजा गले में परेशानी होने पर भाप लेनी चाहिए। जोकि रोजाना दो से तीन मिनट तक होनी चाहिए। इससे वायरस के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने की आशंका भी कम हो जाती है। पानी में विक्स, संतरा या नींबू के छिलके, अदरक और नीम की पत्तियों को उबालकर भाप लें तो बेहतर होगा। अगर आपके घर के पास धतूरे का पौधा लगा है तो उसके पत्तों को उबालकर नमक डालकर भाप लें। इससे तुरंत फायदा मिलेगा।

आयुर्वेद में खांसी जुकाम में श्वसन तंत्र की मजबूती पर ज़ोर दिया जाता है। इसके लिए सितोपलादि चूर्ण का जिक्र हज़ारों साल पुराने आयुर्वेद के गंथ्रों में भी हैं। ऐसे में आधा चम्मच शहद में सितोपलादि पाउडर मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से व्यक्ति के श्वसन तंत्र में मज़बूती आएगी। अगर वायरस लग भी जाएगा तो मजबूत श्वसन तंत्र के सामने ज्य़ादा कुछ नहीं कर पाएगा। इसको दिन में दो बार लिया जा सकता है। ये वायरस नाक के जरिए ज्य़ादा अटैक करता है, अगर सरसों का तेल या फिर तिल का तेल नाक में डालेंगे तो इससे वायरस से बचने में मदद मिलेगी। इसे दिन में दो बार नाक में डालना चाहिए।

किनसे रहे दूर

अपने गले का ख़ास ख्याल रखना है, इसलिए ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम, कोल्ड डिंक और ठंडे पानी से बचना है। खट्टी चीजें जैसे अचार, इमली और मौसमी, संतरे के जूस से भी बचना है। ये बलगम बनाते हैं।

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