#Bengal: पल पल बदलती परिस्थितियों में नंदीग्राम सीट पर आखिरकार ममता बनर्जी हार गई। पहले ये खबर आई थी कि ममता ने सुवेंदु अधिकारी को इस सीट पर मात्र 12 सौ वोट से हरा दिया है। लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने साफ किया कि सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को 1953 वोटों से हरा दिया। इस सीट पर बहुत ही कड़ा मुकाबला रहा। जहां सुवेंदु और उनके परिवार ने पूरी ताकत इस सीट पर झौंक दी थी। वहीं ममता बनर्जी ने भी यहां पूरा दमखम लगाया हुआ था। इस सीट पर पल पल स्थितियां बदल रही थी। शुरूआत में सुवेंदु अधिकारी ने ख़ासी लीड ममता बनर्जी पर बना ली थी। लेकिन जैसे जैसे अल्पसंख्यक इलाकों के वोट गिनने शुरू हुए तो सुवेंदु की लीड कम होती गई। फिर एक समय ममता ने लीड ले ली थी। लेकिन जीत किसी भी हो सकती थी। आखिरकार थोड़ी देर पहले ही फाइनल काउंटिंग पूरी हुई और ममता बनर्जी 1953 वोटों से हार गई।
नंदीग्राम सीट को सुवेंदु अधिकारी का अजेय किला माना जाता था। जब सुवेंदु ने बीजेपी का दामन थामा तो फाइटर की छवि को बचाने के लिए ममता ने नंदीग्राम जैसी मुश्किल सीट से पर्चा भरा और कहा कि किसी दूसरी सीट से चुनाव नहीं लडेंगी। इसके बाद वो ममता ने इस सीट पर छह दिन का समय भी लगाया और मतदान वाले दिन कई घंटों इस सीट पर रही। 1 अप्रैल को नंदीग्राम में हुए मतदान में करीब 88 परसेंट लोगों ने वोट डाला था। जोकि पिछले चुनावों (2016) के मुकाबले एक परसेंट ज्यादा था। पिछली बार सुवेंदु अधिकारी ने टीएमसी की टिकट पर इस सीट को जीता था। दरअसल ममता का बंगाल की राजनीति में पहुंचने का रास्ता सिंगुर और नंदीग्राम से होकर जाता है। यहीं टाटा के नैनो प्लांट के खिलाफ लड़ी लड़ाई के बाद ममता ने कई दशक से जारी लेफ्ट के शासन को उखाड़ फेंका था। इसमें सुवेंदु अधिकारी ममता के सेनापति रहे थे। साल 2009 में नंदीग्राम में हुए उपचुनाव में TMC ने लेफ्ट को हरा दिया था। इसके बाद लगातार दो बार यानी साल 2011 और 2016 में भी TMC ने यहां जीत दर्ज की थी।
बहुत बढ़िया