कोरोना व्याधिक्षमत्व (Immunity)
आयुर्वेद में व्याधिक्षमत्व यानि इम्यूनिटी के दो महत्वपूर्ण घटक होते है। जिन्हें सत्वबल व ओज कहा गया है। सत्वबल का तात्पर्य मनोबल यानि मानसिक शक्ति से है। ओज का तात्पर्य है, देह, मन, आत्मा के संयुक्त शक्ति है। भारतीय आम शब्दों में व्याधिक्षमत्व को बल कहा जाता है। यह तीन प्रकार का होता है।
1-सहज बल-यह जन्म जात होता है।
2-काल बल-यह मौसम व ऋतुओं पर आधारित होता है।
3-युक्तिबल-यह औषधि सेवन, खाने पीने (आहार), पोषण,व्यायाम और योगा या व्यायाम से पाया जा सकता है। संक्रामक रोगों या महामारी जब फैल रही हो तो अपने को बीमारी से बचाने के लिए इसी बल यानि युक्तिबल की जरूरत होती है।
व्याधिक्षमत्ववर्धक औषधियाँ-(Immunity Booster) सामान्यतःमहामारीकाल में डर-तनाव व डिप्रेशन के असर के कारण शरीर में बीमारी लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे Immunity कमजोर होती है। इसलिए इस स्थिति में ऐसी औषधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए जो मानसिक व शारीरिक दोनों स्तरों पर सबलता प्रदान करे। इसके लिए आयुर्वेद में रसायन चिकित्सा का प्रावधान है। रसायन सेवन का उद्देश्य आयु, मेधा, स्मृति बढ़ोतरी व आरोग्य लाभ तथा असमय बुढ़ापा और बीमारी (जरा-व्याधि) से रक्षा है।इसके निम्नलिखित तीन प्रकार है।
1-काम्य रसायन: इसका प्रयोग किसी विशेष उद्देश्य जैसे मेधा,स्मृति,बल के लिए किया जाता है।
2-आजस्रिक रसायन: यह नियमित पोषक द्रव्यों के सेवन जैसे दूध, घी, माँस रस आदि के सेवन को कहा गया है।
3-नैमित्तिक रसायन: यह रोग विशेष से बचाव के लिए सेवन किया जाता है। यह तत्काल प्रभावी होते है। महामारी काल मे इसी वर्ग के रसायनों का सेवन करने किया जाता है।
कोरोना बचाव के लिए आयुर्वेद में कई तरह के इम्यूनिटी बूस्टर हैं, इनमें से किसी एक का उपयोग आप कर सकते हैं।अश्वगंधाचूर्ण 3 से 5 ग्राम नित्य दूध या गुनगुने जल से दिन में एक बार।
शतावरी चूर्ण 3 से 5 ग्राम नित्य दूध या गुनगुने जल से दिन में एक बार।
मधुयष्टि(मुलेठी) 3 से 5 ग्राम रोज़ाना दूध या गुनगुने जल से दिन में एक बार।
अश्वगंधा, मधुयष्टि, रससिंदूर (50ग्राम,50ग्राम,1.5 ग्राम) मिलाकर 2-3 तीन ग्राम की गोली बना लें, शहद या जल से दिन में एक बार।
गिलोय स्वरस 50 मिली या काढ़ा 20 मिली,लेना चाहिए। काढ़े में शहद, गुड़, काली मिर्च, दालचीनी, मुलेठी, मुनक्का आदि मात्रानुसार मिलाया जा सकता है।
शिलाजित-500 मिग्रा कैप्सूल बाजार में उपलब्ध है जिसे दिन में एक बार जल या दूध से लिया जा सकता है इसके साथ गुर्च या अश्वगंध या शतावरी,या वासा का कैप्सूल भी लिया जा सकता है।
नारदीय लक्ष्मीविलास रस-यह बाजार में आयुर्वेदिक स्टोर्स पर उपलब्ध होता है। इसे 250 मिग्रा की मात्रा में दिन में एक बार लिया जा सकता है। परन्तु रसौषधि होने के कारण वैद्य के परामर्श से ही इसका सेवन उचित है। ये रसायन औषधियाँ शिघ्रता से व्य़ाधिक्षमत्व को बढ़ाकर कोरोना कोविद-19 से रक्षा कर सकती है।
नस्य योग-षडविन्दु तैल,अणुतैल,तुरवक तैल का नाक में डालना चाहिए।इसके लिए प्रातःकाल प्रत्येक नासा छिद्र में 4-5 बूँद तैल डाल कर 5 मिनट विश्राम अवस्था रहना चाहिए,इसके बाद नमक मिले गुनगुने पानी से गरारा करना चाहिए।