#FarmersProtest: टिकरी बॉर्डर पर जिस बंगाली युवती की मौत हुई है। उसकी मौत पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। दरअसल किसान नेताओं के युवती के साथ बलात्कार के बाद किसान आंदोलन का प्रबंधन कर रहे नेताओं ने उसे एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। जिसमें ना तो उसका मेडिकल कराया गया और ना ही उसके बलात्कार की पुष्टि हुई। बल्कि उसे कोरोना का ग्रसित कहा जा रहा है। हालांकि युवती के पिता ने बताया कि फोन पर उनकी बेटी उन्हें बताया था कि उसके पेशाब में खून जा रहा है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सामूहिक बलात्कार की वजह से युवती को ब्लिडिंग शुरू हो गई थी। जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है। जिसको छुपाने के लिए उसे कोरोना संक्रमित घोषित किया गया।
हरियाणा पुलिस की एफआईआर की कॉपी जो ekhabar.com के पास है। उसमें लड़की के पिता ने अपने बयान में साफ कहा है कि युवती ने अपने पिता को फोन पर बताया था कि 16 और 17 अप्रैल को उसके पेशाब में खून आ रहा था। इससे पहले युवती ने अपने पिता को बताया था कि अनिल और अनूप ने मिलकर उसके साथ छोड़खानी की है। लेकिन जब बाद में युवती अस्पताल में थी तो उसने पिता को बताया कि उसके साथ गलत काम हुआ है। ख़ास बात ये है कि इस बात की पूरी जानकारी सभी बड़े किसान नेताओं को थी, कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है। लेकिन इनमें से किसी ने भी पुलिस को इत्तेला देने की जरूरत नहीं समझी बल्कि ये सब बलात्कार के निशान मिटाने में लग गए। सबसे पहले तो किसान सोशल आर्मी का टेंट वहां से हटा दिया गया। साथ में इस घटना में शामिल सभी लोग वहां से गायब हो गए। 21 अप्रैल को जब युवती को बुखार आया और उसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो युवती के पिता ने कोलकाता में रहने और संयुक्त किसान मोर्चा वाले अभिक साहा से युवती की देखभाल के लिए कहा। उन्होंने एक डॉक्टर अमित वत्स का नंबर दिया। इसी डॉक्टर ने इस पूरी घटना को योगेंद्र यादव को भी बताया था।