#Cyclone: ताऊ ते तूफान ने जो कहर बरसाया है वो सबके सामने हैं। लेकिन इस बार भारतीय मौसम विभाग ने इस तूफान के बारे में बिलकुल सटीक जानकारी दी थी। इसी वजह से ही केंद्र और राज्य सरकारों को मौका मिल गया था कि वो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दें। वरना तो केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों पर बहुत सारे लोगों की जानें जा सकती थी। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे इस तूफान के बारे में देश की एजेंसियों को पता लगा।
यह ताऊ ते सुपर साइक्लोन से महज एक लेवल नीचे का भयानक तूफान है। मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक सैटेलाइट इनसेट 3डी के जरिए हर 15 मिनट में उन्हें तस्वीरें मिल रही थी। इसके साथ साथ उन्हें पश्चिमी तट पर तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, गोवा, मुंबई और भुज में लगे अपने 5 रडार के जरिए ताऊ ते की हर मूवमेंट का पता चल रहा था। सैटेलाइट की तस्वीरों के जरिए, इस तूफान की ‘आई’ की पहचान की गई। ‘आई’ की तस्वीर जैसे जैसे बदलती है, उसके जरिए मौसम विभाग ने इस तूफान की दिशा और गति की गणना की गई। रडार की तस्वीरों से इसको मिलानें के बाद ये साफ हो गया कि ये कितना भयानक तूफान है। जोकि बिलकुल सटीक रही। इसके तुरंत बाद अहमदाबाद और मुंबई के साइक्लोन सेंटर और पुणे-दिल्ली में विभाग के मुख्यालय से सभी तटीय राज्यों के प्रभावित इलाकों को तुरंत चेतावी दी गई। गृह मंत्रालय और एनडीआरएफ को भी इसके बारे में बता दिया गया।
मौसम विभाग के नोएडा और पुणे केंद्रों में दो सुपर कंप्यूटर लग हुए हैं। आई की तस्वीरों के मैथेमेटिकल मॉडल चलाकर आए डेटा का विश्लेषण किया गया तो 6 मई को पहली बार पता चला कि ये एक भयानक तूफान है। इसके बाद 3 अमेरिकन, 1 यूरोपियन यूनियन, 1 जापान और 1 फ्रांस के मॉडल ने भी भारतीय एजेंसियों को कंफर्म किया गया कि ये भयंकर तूफान है। इसके साथ ही तूफान के दीव और गुजरात के हिस्सों से टकराने के 7 दिन पहले ही उसका रास्ता, गति की जानकारी जारी पूरी एजेंसियों को पता चल गई थी। लिहाजा तुरंत सारी भारतीय एजेंसियां हरकत में आ गई। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर गृह मंत्रालय ने सबको एक्टिव किया।
लक्षद्वीप के दक्षिण दिशा में विकसित होने से लेकर गुजरात के पास दीव तट पर टकराने तक इस तूफान ने करीब 1200 किलोमीटर का सफर तय किया। पिछले दो दशकों में अरब सागर में कोई भी तूफान इतना लंबा सफर नहीं तय कर पाया। ताऊ ते चक्रवात ने यह दूरी 7 दिन में तय की और पश्चिमी तट के सभी 5 राज्य और 2 द्वीप समूहों में भारी तबाही मचाई है। लेकिन केंद्र और राज्यों में मिलकर करीब 5 लाख से ज्य़ादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था। लिहाजा जान माल का ज्य़ादा नुकसान नहीं हुआ।