#FarmersProtest: कोरोना के समय में कमजोर पड़ते आंदोलन और छिटकते किसानों के बीच किसान संगठन अपनी नाक बचाने की कोशिशों में लग गए हैं। हालांकि कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद अभी भी बरकरार है। जबकि सरकार इस समय कोरोना से निबटने में लगी हुई है। ऐसे समय में भी किसान संगठनों ने एक बार फिर बातचीत का पैंतरा चला है। दूसरी ओर सरकार जल्दबाजी में नहीं है। उसका मानना है कि किसान संगठन के नेता खुले दिमाग से आएं और कानून की अड़चनों को दूर करने की बात करें तभी सरकार बातचीत करेगी।
दरअसल दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान अब वापस जा चुके हैं। वहां टेंट जरूर लगे हैं। लेकिन किसान उनमें बहुत ही कम रह गए हैं। आंदोलन भी अब छह महीने खिंच चुका है। धरना स्थलों पर कोरोना संक्रमण से बचाव का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होने दिया जा रहा है। आंदोलन कर रहे किसान नेता टेस्टिंग, इलाज, आइसोलेशन और टीकाकरण तक को तैयार नहीं हैं।
दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों को न तो कोरोना से बचाव के उपाय अपनाने दिए जा रहे हैं और ना ही उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि धरने से गए किसानों की वजह से पंजाब और हरियाणा के गांवों कोरोना फैल गया है।