#FraudulentPractice: कोरोना के इलाज के नाम पर लोगों में ईसाई धर्म के प्रचार करने का एक मामला सामने आया है। घटना मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की है जहां एक नर्स आदिवासी इलाकों में लोगों को खाने पीने से इम्यूनिटी बढ़ाने के बारे में बताने गई थी। लेकिन वहां वो लोगों को ईसाई धर्म का प्रचार करते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई। लोगों ने खुद ही इन नर्स को पकड़ा, उसका विडियो बनाया और पुलिस को बुलाकर इसे पुलिस के हवाले कर दिया। दरअसल रतलाम के बाजाला के आदिवासी बहुल इलाके में एक नर्स को कोविड -19 महामारी के बीच लोगों को आहार योजनाओं के बारे में बताने के लिए घर घर सर्वे कर रही थी। इस दौरान उसके साथ ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले प्रचार पुस्तिकाएं थी। जोकि वो लोगों में बांट रही थी। लोगों ने इस पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। साथ में इसका एक विडियो भी बना लिया।
प्रारंभिक जाँच में पुलिस ने भी कोरोना की आड़ में ईसाई धर्म के प्रचार के आरोपों को सही पाया गया है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में कोरोना को नियंत्रित करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वेक्षण किया जा रहा है। सरकार ने अभियान के लिए एएनएम, नर्सों, आँगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की टीमों को तैनात किया है।
दरअसल कोरोना की आड़ में आदिवासी इलाकों में ये फैलाया जा रहा है कि यीशू ही कोरोना को ठीक करेंगे। हिंदु संगठनों ने जब इस बात की पड़ताल की तो पाया कि कुछ नर्स ही इस तरह के पर्चे बांट रही हैं। लिहाजा शनिवार (मई 22, 2021) को हिंदु संगठनों इस नर्स को रंगे हाथों पकड़ लिया। बाद में इस बात की रिपोर्ट तैयार कर एसडीएम को भी भेज दी गई है।
दरअसल आदिवासी इलाकों में भोले भाले लोगों को लंबे समय से अलग अलग तरीके से ईसाई बनाने का षड़यंत्र चल रहा है। इसी वजह से झारखंड़, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में अक्सर सरकारी योजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर आदिवासियों को धर्मपरिवर्तन बहलाया फुसलाया जाता रहा है।