#VaccinationDrive: कोरोना की आपदा पूरी दुनिया की तरह भारत पर भी भारी पड़ रही है । पहली लहर से तो देश निपट गया. लेकिन दूसरी लहर ने पूरे देश को तेजी से अपने लपेटे में ले लिया। देश भर से परेशान करने वाली खबरें आने लगीं, अस्पताल भरने लगे, दवाएं कम होने लगीं, लोग ऑक्सीजन के लिए भटकते दिखे। देश निराशा में घिरने लगा लेकिन हर काल में आशावादियों का एक समूह होता है, जो समाज को बेहतरी का हौसला देता है। इस आपदा से लड़ाई करते हुए देश के लिए कोरोना की वैक्सीन सबसे बड़ी समाधान बनकर आयी है।
60 पार की उम्र से शुरू हुआ वैक्सीनेशन का कार्यक्रम, इस वक्त 18 साल से ऊपर की उम्र के हर नागरिक के लिए उपलब्ध है। शहरी इलाकों में यूं तो काफी उत्साह देखने को मिल रहा है लेकिन समाज के कुछ हिस्सों में अभी अभी वैक्सीन को लेकर उदासीनता देखी जा रही है। तमाम गलत सूचनाओं के कारण ग्रामीण इलाकों में भी कई वैक्सीन सेंटर्स पर लोगों के ना आने से वैक्सीन के बर्बाद होने की खबरें आ रही हैं। जरूरत इस उदासीनता को खत्म करने की है। वैक्सीन को लेकर सभी तरह की हिचकिचाहट को दूर करने की महती आवश्यकता है। इसी क्रम में दादीदादा फाउंडेशन ने देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन पर राष्ट्रीय जागरुकता की शुरुआत की। प्रयागराज के कमलानेहरु इलेक्ट्रोहोम्योपैथिक मेडिकल संस्थान में नागरिक समाज की उपस्थिति में कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए आरम्भ किया।
दादीदादा फाउंडेशन के निदेशक मुनिशंकर ने कहा कि जब वैक्सीनेशन के दूसरे चरण में 60 की उम्र पार कर चुके वरिष्ठ नागरिकों के लिए वैक्सीन की शुरुआत हुई तो दादीदादा फाउंडेशन ने इसका पुरजोर स्वागत किया। सरकार के इस कदम से स्पष्ट हुआ कि वरिष्ठ नागरिक इस देश की प्राथमिकताओं में बने हुए हैं। यूं भी कोरोना की पहली लहर को वरिष्ठ नागरिकों के लिए ज्यादा घातक समझा जा रहा था। तब से लेकर अब तक परिस्थितियां बदल चुकी हैं। कोरोना रूप बदल रहा है। विज्ञान ने भी अपने शोध को आगे बढ़ाया है। आज जरूरत समाज के हर वर्ग को इस महामारी से बचाने की है। हमें एक समाज के तौर पर अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाते हुए वैक्सीन से जुड़ी हर जानकारी को सही तरीके से गाँव गाँव तक पहुंचाने की जरूरत है।
फाउण्डेशन के निदेशक मुनिशंकर ने कहा कि देश में इस वक्त कोवैक्सीन और कोवीशील्ड नाम की दोनों वैक्सीन बड़े स्तर पर लगाई जा रही हैं। रूस से लाकर स्पूतनिक भी कुछ जगहों पर लगने लगी हैं। कुछ वक्त बाद भारत में इसका उत्पादन होने लगेगा तो वैक्सीनेशन में और भी तेजी आएगी। कुछ और विदेशी वैक्सीन को भी भारत में जल्दी परमिशन मिलने की संभावना है। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा निर्देशों को दादीदादा फाउण्डेशन के वालिन्टियर्स जनजन तक पहुचाने का कार्य अगले एक वर्ष तक करेगें। फिर अगर आवश्यकता हुई तो कोरोना वैक्सीनेशन के इस राष्ट्रीय जागरुकता अभियान को आगे भी जारी रखेगें।
इस अवसर पर डा प्रमोद शुक्ला ने कहा कि ऐसे में जरूरत है कि जीवन जीने के नए तौर तरीकों के साथ ही हमें इस आपदा से निपटने के लिए कमर कसनी है। ध्यान ये भी रखना है कि वैक्सीन लगाने जाना हो या वैक्सीन के बाद हो, दिनचर्या में मास्क, दो गज की दूरी और बार बार हाथ धोना शामिल रहे ही रहे। इस अवसर पर एडवोकेट बीके पाण्डेय, जूही जयसवाल, अविनाश जयसवाल, एडवोकेट ध्यान शंकर पाण्डेय, डा देवेश रंजन औऱ सत्यम जैसे प्रबुद्ध नागरिक समाज ने दादी दादा फाण्डेशन के इस जागरुकता अभियान में हर सम्भव सहयोग करने की बात कही। दादी दादा फाउण्डेशन के सालभर चलने वाले अभियान में जिन्दल स्टेनलेस स्टील, नेशनल मिनरल डेवलपमेन्ट कारपोरेशन लिमिटेड (एनएमडीसी) राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड और जिन्दल स्टील और पावर लिमिटेड बतौर प्रायोजक सहयोग किया।
2021-05-25