#SocialMedia: फिर समय मांगकर ट्विटर ने अपने को बचा लिया है। कल रात खत्म हुई समय सीमा के बाद भी ट्विटर अभी चल रहा है। दूसरी ओर कू, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी इन नियमों के हिसाब से बदलाव के लिए तैयार हैं। कू ने तो इन नियमों को पूरा भी कर दिया है।
दूसरी ओर भारत में ट्विटर बेशक एक बार फिर बैन होने से बच गया हो, लेकिन ये सोशल प्लेटफार्म भारत के खिलाफ लोगों को भड़काने का टूल बन गया है, ये बात साबित हो चुकी है। चाहे किसान आंदोलन में पाकिस्तान के ट्विटर हैंड्स से किसानों को हिंसा के लिए भड़काने की बात हो, कोरोना को लेकर भ्रम पैदा करना हो या फिर चुनिंदा लोगों की विशेष बात को प्रमोट करना हो। ऐसे में इसको बैन करने के लिए आवाज अब तेज़ हो रही है। जिस तरह से पब्जी एक एडिक्टिव एप था। उसी तरह ट्विटर के एडिक्टिव होने की वजह से बहुत सारे ऑफिस में ट्विटर को बैन किया जा चुका है।
बड़ी बात ये है कि अक्सर बड़े बड़े विवाद ट्विटर ही खड़े करता है, चाहे वो अमेरिका हो या भारत, अब सवाल ये उठता है कि ये मुद्दे ट्विटर पर कैसे खड़े होते हैं और ट्विटर को इसका फायदा क्या होता है। दरअसल जितना बड़ा विवाद होगा, उतना ही ट्विटर का ट्रैफिक बढ़ेगा। यानि ट्विटर को देखने वाले उसका इस्तेमाल करने वालों में बढ़ोतरी होगी। फिर ट्विटर किसी व्यक्ति, राजनैतिक दल या कंपनी के ट्विट्स को प्रमोट करने के पैसे चार्ज करेगा। साथ ही कंपनियों का कंटेंट भी अपने प्लेटफार्म पर चलाएगा और इससे उसकी कमाई बढ़ेगी। दुनिया में ट्विटर के सबसे ज्य़ादा फॉलोअर्स भारत में हैं। यहां इसको 1.75 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये 1.75 करोड़ लोग वो लोग हैं जोकि प्रभावशाली है। यानि इन 1.75 करोड़ लोगों के दम पर ट्विटर देश की पॉलिसी तक बदलवाने की स्थिति में आ गया है। यही वजह है कि पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा से भी ट्विटर अकाउंट यहां चल रहे हैं। ताकि सरकार पर दबाव डाला जा सके। ये बात जनवरी में जब किसान आंदोलन अपने चरम पर था तो सबके सामने आ चुकी है। उस समय भारतीय एजेंसियों ने पाकिस्तान से चलाए जा रहे लगभग एक हज़ार ट्विटर हैंडल की लिस्ट दी थी। जोकि किसानों को भड़काने वाले ट्विट्स कर रहे थे।
एक ओर बड़ी बात ये है कि ट्विटर का भारत में कुछ भी नहीं है, यानि ट्विटर के सारे सर्वर, अमेरिका में है। भारत में ट्विटर इंडिया एक कंपनी है। लेकिन वो भी एक आउटसोर्स कंपनी है, जिसका ट्विटर के कंटेंट पर कोई हस्तक्षेप नहीं है। वो बस भारत में मार्केटिंग और लाइजन के लिए काम करती है। यानि भारत सरकार ट्विटर इंडिया के कंटेंट में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। चाहे उसकी वजह से कानून व्यवस्था की कितनी भी बड़ी समस्या क्यों ना पैदा हो गई हो।
भारत सरकार ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म कंपनियों को देश में अपने सर्वर लगाने के लिए तीन महीने का समय दिया था। जहां कू ने सारी कंडिशन पूरी कर दी है, वहीं ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियां इसके लिए अभी और समय मांग रही हैं। अब देखना ये होगा कि क्या ये कंपनियां भारत में अराजकता फैलाने वाली ताकतों के पक्ष में साफ तौर पर खड़ी होने के बावजूद भी चलती रहेंगी?