#BudhaPurnima: बुद्ध पुर्णिमा के दिन काला दिवस मनाने का क्या होगा असर?

#RakeshTikait: बुद्ध पुर्णिमा के शुभ दिन किसान संगठनों के काला दिवस मनाने से आने वाले दिनों में इसका नकारात्मक असर देश की राजनैतिक और कोरोना महामारी पर पड़ सकता है। ज्योतिषशास्त्रियों के मुताबिक ये दिन शुभ कार्य को करने के लिए होता है। ऐसे दिन काला दिवस जैसे प्रपंच करने से इसका नुकसान पूरे देश को हो सकता है।

Guru Rahuleswar

ज्योतिषशास्त्री गुरू राहुलेश्वर के मुताबिक आज बहुत ही शुभ दिन है, साथ ही चंद्र ग्रहण भी है, देश में आज के दिन पूजा पाठ और शुभ कार्य किए जाने चाहिएं। लेकिन ऐसे दिन समाज का एक वर्ग अगर काला दिवस जैसे प्रपंच करता है तो इसका असर समाज पर नकारात्मक ही पड़ेगा। राजनैतिक अस्थिरता भी बढ़ेगी। इसका असर कोरोना पर भी पड़ेगा, आने वाले दिनों में ये एक बार फिर बढ़ सकता है। जिस तरह से कोरोना गांव गांव पहुंचा है, उसके लिए बहुत हद तक किसान आंदोलन भी जिम्मेदार हैं।  

Hites Shankar, Editor, Panchjanya

दूसरी ओर जब पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है तो आढ़तियों ने हरियाणा और पंजाब से गांव के लोगों को एक बार फिर सिंधु बॉर्डर पर जमा करना शुरू कर दिया है। वैक्सीन लगवा चुके राकेश टिकैत कोरोना के समय इस भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर के मुताबिक भगवान बुद्ध का संदेश था कि मध्यममार्गी होना चाहिए। ये अराजक तत्वों का जमावड़ा है। ऐसा नहीं होगा कि आप सरकार से 10 दौर की वार्ता कर लो और पहले से ही तय करके जाओ कि ये नहीं मानना है। ये आढ़तियों के मन की बात कर रहे हैं किसान के मन की बात क्यों नहीं कर रहे। इन अड़े हुए लोगों से इस मामले का हल नहीं निकलेगा।

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