#AnmCenterExclusive:उत्तराखण्ड़ सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल?

हरेन्द नेगी

उत्तराखण्ड़ सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
एएनएम सैन्टर न्याय पंचायत पौड़ीखाल पर लगे हुए पिछले चार साल से ताले ।
भवन हुआ जर्जर नहीं है कोई सुध लेने वाला। सीएमओं ने कहा जांच करेगें।
आज हम आपको रू.ब रू करवाते है। उत्तराखण्ड़ सरकार की स्वास्थ्य विभाग की इन तस्बीरों से। रूद्रप्रयाग जनपद के विकास खण्ड़ अगस्त्यमुनि के न्याय पंचायत पौड़ीखाल के अन्र्तगत पौड़ीखाल निसणी में ग्रामीणों को छोटी .मोटी स्वास्थ्य लाभ के लिए एएनएम सैन्टर बनाया है। लेकिन एएनएम सैन्टर पर पिछले चार साल से ताले पडें हुए है।
उत्तराखण्ड़ सरकार का स्वास्थ्य विभाग जहां उनकी पोल खुलती नजर आ रही है। ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाये दुरूस्थ रहे लेकिन यहां तो विल्कुल उल्टा हो रहा है। ग्रामीण बेचारे अपनी जान बचाने के लिए क्या .क्या नहीं कर रहे है। लेकिन बंगोली ग्राम पंचायत और निसणी ग्राम पंचायत के लोगों को स्वास्थ्य विभाग ने मरने को छोड़ दिया है। सैकंडो किलोमीटर दूर चल कर इस कोरोना काल में किसी तरह से अपनी दवाईयां एवं अन्य सेवा के लिए इधर उधर जा रहे हैं लेकिन विभाग है कि जाॅच कह कर अपनी इती श्री कर देता है लेकिन गांव के लोग कितने परेषान है इसका अन्दाजा विभाग के लोगों को नजर नहीं आ रहा है।
ग्रामीणों के लाख प्रयास पर स्वास्थ्य विभाग द्धारा पौड़ीखाल में एएनएम सैन्टर का भवन तो बना दिया पहले यहां पर एएनएम और एक फार्मषिश्ट की नियुक्ति भी कर दी गयीए कुछ दिन तो यह ठीक चला लेकिन इस स्थान पर सड़क की सुविधा न होने के कारण फार्मषिश्ट और एएनएम ने जुगाड़ कर अपना स्थानान्तरण सुविधा जनक स्थान पर कर दिया। जब ये लेाग यहां से निकल गये तो एएनएम भवन पर पिछले चार साल से ताले पडे हुए है।
ग्रामीण गर्भवती महिलाये छोटे बच्चे कई किलोमीटर दूर चल कर तथा मंहगा किराया देकर किसी तरह अपना टीका लगाने के लिए कई किलोमीटर खड़ी चढाई चढंकर पैदल चल कर गाड़ी का इंतजार कर खांकरा पहॅूचते है। और एक ओर का 1 एक सौ सत्तहर रूपया किराया देकर टीका लगाती है। लेाग कहते है कि अगर ऐसा ही इधर. उधर जाना था तो फिर क्येां ये एएनएम सैन्टर बनाया।
ग्रामीणों का आरोप है कि जिला प्रषासन स्वास्थ्य विभाग को इस सम्बन्ध में कई बार लिखित दिया गया लेकिन आज तक एएनएम सैन्टर नहीं खुल पाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार एक ओर कह रही हैं कि हम लोग गांव .गांव में स्वास्थ्य सेवा दे रहे हैं घर .घर दवाई दे रहे हैं हमारे यहां तो कोई भी पूछने वाला हैं अगर पूछने वाला होता तो ये हाल नहीं होता एएनएम सैन्टर खुला रहता लोग यहां से लाभ लेते आज लोग गांव में कोरोना महामारी से मर रहे है। लेकिन विभाग की लापरवाही ऐसी हैं हमारे यहां कोई पूछने वाला नहीं है।

जब मुख्यचिक्तिषाधिकारी रूद्रप्रयाग को इस बारे में पूछा कि एएनएम सैन्टर पौड़ीखाल में इस कोरोना काल में ताले पडें हुए है तो वे इधर उधर की झांकने लगे फिर कहने लगे कि वहां पर सत प्रतिषत टीकाकरण है कोई बच्चा और गर्भवती महिला टीकाकरण से बंचित नहीं है। वहां का चार्च जो पहले एएनएम थी उसको दिया गया है। फिर सवाल उठता है कि जबतक उस स्थान पर एएनएम नहीं आयी तब तक उसका स्थानान्तरण कैेस कर दिया गया। गरीब ग्रा्रमीण जनता को क्यांे भगवान भरोष छोड़ दिया ये सबसे बड़ा सवाल है। अब ये ग्रामीण इन दिनों कोरोना महामारी में जाये तो जाये कहां क्योंकि इन दिनों षहरों के बजाये ग्रामीण क्षेत्रों सबसे ज्यादा मरीज है।

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