#Wheat: खाने पीने के सामान में मिटावट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूप अपनाया है। गेंहू में पॉलिस कर बेचने के मामले में कोर्ट ने आरोपियों को जमानत से इंकार कर दिया। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपियों के वकील से पूछा क्या वो इस गेंहूं को खुद खा सकते हैं।
पॉलिश किए हुए गेहूं से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपियों के वकील को खासी फटकार लगाई। कोर्ट ने वकील से कहा कि वह पहले खुद गेहूं को खाकर दिखाएं, फिर जमानत मिल जाएगी।
कोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता के आरोपियों के वकील ने दलील दी कि खाद्य पदार्थ में मिलावट का मामला जमानती है, ऐसे में गिरफ्तारी का कोई औचित्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल भारत में हम स्वास्थ्य को लेकर उदासीन हैं। जमानत की अपील पर कोर्ट ने पूछा कि क्या आप अपने क्लाइंट का गेंहू खाने को तैयार हैं? यह टिप्पणी जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने की।
दरअसल मामला मध्यप्रदेश के नीमच जिले के प्रवर गोयल और विनित गोयल पर आरोप है कि दोनों पॉलिश वाले गेहूं बेचते थे। ऊपर से गेहूं पर जो पॉलिश की जा रही थी वो खाने वाली नहीं थी। वहां इन दोनों के गोदाम पर छापा पड़ा था, छापेमारी में सैकड़ों किलो पॉलिश किया हुआ गेहूं बरामद किया गया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कहा कि अर्जी पर विचार किया जा सकता है, अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य वो गेंहू खाने के लिए तैयार हो, जोकि आपका क्लाइंट बेचता है। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद वकील चुप हो गए। खबर के मुताबिक, कोर्ट यहीं पर नहीं रूके, कोर्ट ने पूछा कि अब वकील कुछ क्यों नहीं बोल रहे? क्या लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए? इसके बाद अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया गया।