#3rdWave: सरकार ने कोरोना में बच्चों के लिए आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डाक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी ना देने के लिए कहा है। सरकार ने बुधवार को जारी अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि कोरोना के वयस्क रोगियों के उपचार में काम आने वाली इन दवाओं का बच्चों पर परीक्षण नहीं किया गया है। इसके साथ ही सरकार ने कोरोना की तीसरी को देखते हुए बच्चों के लिए कोरोना देखरेख केंद्रों के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को मेडिकल सुविधाएं देने के लिए अस्पतालों और अन्य मेडिकल सेंटर्स में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। अगर कोरोना वैक्सीन का बच्चों पर ट्रॉयल पूरा होकर उसे मंजूरी मिल जाती है तो ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अन्य रोगों से पीड़ित हैं और जिन्हें कोरोना से खतरा ज्य़ादा है।
स्कूल खोलने पर सरकार ने क्या कहा
केंद्र सरकार ने कहा है कि लॉकडाउन हटने या स्कूलों के फिर से खुलने के बाद अगर तीसरी लहर आती है तो कोरोना से निबटने में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से कोशिश करनी होगी।
सरकार ने राज्यों को अपने दिशा-निर्देशों में कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयारियों के लिए बच्चों के लिए अतिरिक्त बिस्तरों की जरूरत होगी। इसके लिए अभी से तैयारी की जरूरत है। लिहाजा अपने अपने जिलों में कोरोना पीक के दौरान आने वाले केसों के आधार पर अतिरिक्त बिस्तरों का अनुमान लगाया जा सकता है। इसी आधार पर ये भी पता लगाया जा सकता है कि कुल कितने बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पढ़ेगी। दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘कोरोना से गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देखभाल (चिकित्सा) उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा कोरोना अस्पतालों क्षमता बढ़ाना बहुत जरूरी है।