#Covishield: कोरोना के वैक्सीनेशन के बीच अंतर को लेकर चल रही बहस के बीच कोरोना वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ एन के अरोड़ा ने कहा है कि ट्रॉयल के बाद ही कोविशिल्ड की दो डोज के बीच अंतर को बढ़ाया गया है। अंतर बढ़ाने से वैक्सीन का असर 65 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी तक हो जाता है। दरअसल सरकार ने कोविशिल्ड वैक्सीन के बीच के अंतर को एक महीने से बढ़ाकर तीन महीने कर दिया है।
डॉ. एन के अरोरा सरकार की ओर से बनाए गए कोरोना वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन हैं। उन्होंने बताया कि वैक्सीन की दोनों खुराकों के बीच 12 से 16 हफ्तों का अंतर बढ़ाया गया है, वो देश में किए गए वैक्सीन ट्रायल के हिसाब सही है। डॉ. अरोरा ने बताया कि आंकड़ों के हिसाब से देखा गया है कि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोविशील्ड की पहली डोज 61 परसेंट तक प्रभावी है।
डॉ. अरोरा ने कहा कि जब सरकार ने वैक्सीनेशन शुरु किया था उस वक्त दोनों खुराकों के बीच का गैप चार हफ्तों का था। वो भी ट्रायल के नतीजों के मुताबिक तय किया गया था, डेटा से हमें पता चला था कि चार हफ्तों के अंतर में इम्युन रिस्पॉन्स काफी अच्छा है।
हालांकि, ठीक उसी समय ब्रिटेन ने इस गैप को बढ़ाकर 12 हफ्तों का किया था। इस समय ब्रिटेन अल्फा वेरिएंट से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा था। दिसंबर- जनवरी उनके लिए काफी कठिन वक्त रहा है। उन्होंने बताया कि डेटा की समीक्षा करने के बाद ही खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाया गया था।
डॉ. अरोरा ने आगे बताया कि अप्रैल में पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने सुझाया कि 12 हफ्ते के अंतर पर वैक्सीन 65 से 80 फीसदी तक रिजल्ट देती है। इस समय भारत डेल्टा वेरिएंट के प्रकोप से जूझ रहा था। सीएमसी वेल्लोर ने अहम आंकड़ों और डेल्टा संक्रमण के दौरान हजारों केस को ध्यान में रखते हुए ये साबित किया कि कोविशील्ड की पहली डोज इस वेरिएंट के लिए 61 फीसदी और दोनों डोज के साथ 65 फीसदी प्रभावी है।
एनके अरोड़ा के मुताबिक वैक्सीन की डोज में अंतर पर वर्तमान फैसला सही है तो हम इसे ही जारी रखेंगे। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी ‘पब्लिक हैल्थ इंग्लैंड’ ने अप्रैल के अंतिम हफ्ते में आंकड़े जारी कर बताया था कि वैक्सीन की डोज के बीच 12 हफ्ते का अंतराल होने पर इसका असर 65 से 88 फीसदी के बीच हो जाता है।