#Haryana: एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को प्लाट आवंटित करने के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुडा को राहत मिल गई है। निचली अदालत द्वारा चार्ज फ्रेम करने को चुनौती देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Hooda) ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में आगे किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इस मामले में हुड्डा की ओर से कपिल सिब्बल बहस कर रहे थे।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 64.93 करोड़ रुपये का प्लाट एजेएल को 69 लाख 39 हजार रुपये में आवंटित करवा दिया। पंचकूला सेक्टर-6 स्थित सी-17 नंबर एजेएल को आवंटित किया गया था। 2018 में ईडी ने इसे कुर्क कर लिया था। कथित तौर पर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा संचालित किया जाने वाला एजेएल ग्रुप नेशनल हेराल्ड अखबार निकालता था।
ईडी की जांच में पाया गया कि हुड्डा ने मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान अपने पद का दुरुपयोग कर यह प्लाट नए सिरे से एजेएल को 1982 की दर (91 रुपये प्रति वर्ग मीटर) और ब्याज के साथ फर्जी तरीके से आवंटित कर दिया।
प्लॉट से 10 साल से अलॉट पर नहीं शुरू हुआ था निर्माण
24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी-17 तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने एजेएल प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार नवजीवन को आवंटित किया था। कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके दो वर्ष में काम पूरा करना था, वह 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। इसके बाद 30 अक्तूबर 1992 को एचएसवीपी ने आवंटन रद्द करके प्लाट को वापस ले लिया। 14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लाट आवंटन की बहाली के लिए अपील की।
14 मई 2005 को एचएसवीपी के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लाट आवंटन की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, पर कानून विभाग ने आवंटन बहाली के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया। 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को एचएसवीपी ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लाट आवंटित कर दिया। इसके साथ ही साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया।