TirathSingh: तीरथ सिंह रावत को बेशक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा हो, लेकिन इस एक तीर से बीजेपी ने कई शिकार कर लिए हैं। इस तीर का सबसे बड़ा शिकार ममता बनर्जी बन सकती हैं। उन्हें भी उसी संकट से निकलना है, जहां से तीरथ सिंह निकल नहीं पाए। दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 4 नवंबर से पहले तक विधानसभा का सदस्य बनना होगा या फिर उन्हें इस्तीफा देना होग।
संवैधानिक बाध्यता क्यों है?
10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। ऐसे में 10 सितंबर से पहले उन्हें किसी सदन का सदस्य होना आवश्यक था। तीरथ ने संवैधानिक संकट और अनुच्छेद 164 का हवाला देते हुए इस्तीफे की बात कही है। अनुच्छेद 164(4) के अनुसार, कोई मंत्री अगर 6 माह की अवधि तक राज्य के विधानमंडल (विधानसभा या विधान परिषद) का सदस्य नहीं होता है तो उस समयसीमा के खत्म होने के बाद मंत्री का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। इस लिहाज से पश्चिम बंगाल की स्थिति भी उत्तराखंड जैसी ही दिख रही है। यहां सीएम ममता बनर्जी अभी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं।
जानकारों के मुताबिक ममता बनर्जी ने 4 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। ऐसे में उन्हें शपथ लेने के दिन से छह महीने के अंदर यानी 4 नवंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना आवश्यक है। और यह संवैधानिक बाध्यता है। उन्होंने अपने लिए एक सीट (भवानीपुर) खाली भी करा ली है लेकिन चुनाव नहीं होने की सूरत में उन्हें इस्तीफा ही देना पड़ेगा। कोरोना की वजह से केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने सभी चुनाव स्थगित किए हुए हैं। चुनाव प्रक्रिया कब से शुरू होगी, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में अगर नवंबर तक भवानीपुर उपचुनाव के बारे में चुनाव आयोग फैसला नहीं लेता है तो ममता की गद्दी के लिए भी खतरा होगा।
बंगाल में जब आयोग चुनाव करा रहा था तब कई राजनीतिक दलों ने आयोग पर लोगों की जान से खेलने के आरोप लगाए थे। ऐसे में अब जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि चुनाव कराने से किसी की जान को खतरा नहीं है तो चुनाव होने की सूरत बनती नहीं दिख रही है। ममता ने हालात को समझते हुए, विधान परिषद वाला रास्ता निकालने की कोशिश की थी। उन्होंने विधानसभा के जरिए प्रस्ताव पास कराया कि राज्य में विधान परिषद का गठन हो लेकिन बगैर लोकसभा की मंजूरी के यह संभव नहीं है। केंद्र सरकार के साथ उनके रिश्ते जगजाहिर हैं। ऐसे में विधान परिषद वाला रास्ता भी मुमकिन नहीं है।