#PopulationControl: जनसंख्या नियंत्रण के लिए केंद्र बनाए कानून

#SupremeCourt: देश की जनसंख्या 150 करोड़ से ज्य़ादा हो गई है और इसकी वजह से बहुत सारे स्थानों पर पानी, हवा, बिजली, सड़कें, स्वास्थ्य और परिवहन की समस्या पैदा हो गई है। इसको देखते हुए केंद्र को ही दो बच्चों की नीति लानी चाहिए जो राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि जनसंख्या नियंत्रण समवर्ती सूची में हैं। इसीलिए केंद्र को अहम कदम उठाना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करने वाले याचिकाकर्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार के जवाब में दाखिल प्रतिउत्तर में ये बात कही है।

अब मामले पर कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। वकील उपाध्याय की याचिका पर कोर्ट पहले ही केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में दाखिल किए गए जवाबी हलफनामे में जनसंख्या नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में ब्योरा दिया था। इस ब्योरे में मंत्रालय ने लिखा था कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जबरदस्ती नहीं की जा सकती। जनसंख्या नियंत्रण की नीति स्वैच्छिक है।

वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने के लिए याचिका दायर की है। उपाध्याय ने कहा है कि इस समय 125 करोड़ भारतीयों का आधार कार्ड है। जबकि 20 परसेंट यानी करीब 25 करोड़ बिना आधार वाले नागरिक हैं। इसके अलावा करीब पांच करोड़ अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या हैं। इस तरह देश में 150 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या है। हमारा देश जनसंख्या के मामले में चीन के बराबर पहुंचने वाला है। अगर देश मे उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को देखा जाए तो हमारे पास दुनिया की दो परसेंट कृषि भूमि है और चार परसेंट पेयजल है। जबकि जनसंख्या 20 परसेंट है। भारत की खराब अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग की वजह भी जनसंख्या विस्फोट है।

ग्लोबल हंगर इनडेक्स में भारत 102वें नंबर पर है, आत्महत्या में 43वे, साक्षरता में 168वें, व‌र्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर है। अधिक बच्चों को जन्म देने और बार-बार गर्भ धारण करने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। लिहाजा कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह नागरिकों के शुद्ध हवा, शुद्ध जल, भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवनयापन के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए कड़े और प्रभावी नियम कानून व दिशानिर्देश तैयार करें। केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह सरकारी नौकरी, मदद, सब्सिडी, मतदान और चुनाव में खड़े होने के अधिकार और मुफ्त आश्रय के अधिकार पाने के लिए दो बच्चों की नीति जरूरी की जाए। वैकल्पिक तौर पर विधि आयोग को अन्य देशों के जनसंख्या नियंत्रण कानूनों को परख कर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश भी दिया जाए। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोर्ट इस मामले में सभी राज्यों को पक्षकार बनाकर नोटिस जारी करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *