#Narendra Modi Cabinet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सात सालों के सबसे बड़े क्राइसिस को दूर करने के लिए पूरी कैबिनेट को ही रिसेट कर दिया है। जहां उन्होंने रविशंकर प्रसाद जैसे भारी भरकम मंत्री को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वहीं पिछले 7 सालों से पेट्रोलियम मंत्रालय में बैठे धमेंद्र प्रधान को भी इस महत्वपूर्ण मंत्रालय से बाहर कर दिया है। फैसले नहीं लेने और पार्टी कॉडर और संघ की सलाह के इतर चलने वाले प्रकाश जावडेकर भी वापस सांसद ही रह गए हैं। हालांकि कुछ मंत्रियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। उनमें टूरिज्म मंत्री प्रहलाद पटेल भी हैं। जोकि पहले दो मंत्रालय अकेले संभाल रहे थे। लेकिन अब उनका भी कद छोटा कर दिया गया है।
ट्विटर के चक्कर में गए रविशंकर प्रसाद
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक जहां तक रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावडेकर की बात है तो रविशंकर प्रसाद तो ट्विटर के चक्कर में गए हैं। ट्विटर जैसे एक कंपनी इतनी बड़ी हो गई कि वो सरकार पर ही दबाव बनाने लगी थी। कई ऐसी बातें थी जोकि लंबे समय तक मंत्रालय ने छुपाई थी। ताकि ट्विटर को बचाया जा सके। मसलन लंबे समय तक ट्विटर इंडिया और ट्विटर इंक के बारे में स्थिति साफ नहीं की गई। खुद मंत्रालय इस बारे में जानकारी देने से बचता रहा। फिर नरेंद्र मोदी सरकार कानून आईटी मंत्री ट्विटर के अकाउंट ब्लॉक करने की शिकायत करे तो इससे साफ हो गया था कि अब ये मंत्रालय में नहीं रहेंगे।
ओटीटी की वजह से गई प्रकाश जावडेकर की नौकरी
दूसरी ओर प्रकाश जावड़ेकर भी ओटीटी प्लेटफार्म के चक्कर में फंसे हुए थे। सरकार के खिलाफ या भारतीय सभ्यताओं का मजाक उड़ाने के बाद भी जावडेकर ओटीटी प्लेटफार्म पर कोई पुख्ता नीति नहीं बना पाए। बल्कि लगातार शिकायतों के बावजूद भी सरकार इन कंपनियों के सामने बेचारी नज़र आ रही थी। लिहाजा प्रकाश जावेडकर के खिलाफ काफी नाराज़गी हो गई थी। प्रधानमंत्री समीक्षा बैठक में मीडिया हैंडल करने की जावडेकर काफी खिंचाई हुई थी।
कोरोना की बलि चढ़े डॉ. हर्षवर्धन
बीजेपी में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के दफ्तर के बिहेवियर से भी काफी लोग नाराज़ थे। आम लोगों के साथ साथ पार्टी के काडर और संघ के प्रमुख लोगों तक को हर्षवर्धन कहीं कोई मदद नहीं कर पाए। ना तो अस्पतालों में वो किसी को बेड दिलवा पाए और ही दवाएं पहुंचवा पाए। और तो और सांसदों को भी अपने क्षेत्र के लोगों के लिए बेड का अरेंजमेंट भी नहीं करवा पाए। उत्तर प्रदेश से एक विधायक की मौत तो इलाज नहीं मिलने की वजह से हो गई थी। इसकी वजह से हर्षवर्धन का पत्ता मंत्रीमंडल से कट गया।