#WorldPopulationDay: अगर आबादी की रफ्तार नहीं रूकी तो पड़ जाएंगे खाने के लाले

आज विश्व जनसंख्या दिवस है, आज के दिन ही 1987 को दुनिया की जनसंख्या 5 अरब हो गई थी। तभी से दुनियाभर में बढ़ती आबादी की रफ्तार को कम करने के लिए ये दिन मनाया जाता है। भारत जैसे तेज़ी से बढ़ती आबादी वाले देश के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण दिन है। देश में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से किसी राज्य ने आबादी को संतुलित करने की दिशा में कदम उठाया है।

यूनाइटेड नेशंस ने बढ़ती आबादी को काबू करने और परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 11 जुलाई 1989 को पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाया था। उसकी के बाद से आज के दिन जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।

दरअसल दुनियाभर की आबादी बढ़ने से पृथ्वी पर रिसोर्सेज का दबाव बढ़ गया है। बहुत से इलाकों में पानी खत्म हो रहा है, जंगल खत्म हो रहे हैं, पहाड़ टूट रहे हैं। कई देशों में इस आबादी के कारण ही प्रदूषण की समस्या इतनी ज्य़ादा हो गई है कि लोगों को शहर छोड़कर वापस गांवों की ओर रूख करना पड़ रहा है।

इसी वजह से 1990 में 90 से ज्यादा देशों में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया गया था और अब हर साल इसे मनाकर दुनिया को आबादी बढ़ने के ख़तरे की तरफ आगाह किया जाता है।

दरअसल विश्व की जनसंख्या 1 अरब तक पहुंचने में हजारों साल का समय लगा था। इसके बाद करीब 200 साल में ही ये 7 गुना तक बढ़ गई। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था कि मेडिकल साइंस में सुधार होना, मृत्यु दर में कमी आना और जन्म दर बढ़ना जैसे कई कारण हैं।

आज दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी एशियाई देशों में है। जनसंख्या के लिहाज से चीन और भारत पहले और दूसरे नंबर पर हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत की आबादी 1.39 अरब है। भारत में हर मिनट 25 बच्चे पैदा होते हैं। अगर इसी रफ्तार से हमारी आबादी बढ़ती रही तो आने वाले 10 सालों में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने जा रहा है। ऐसे में देश में बिजली, पानी और खाने के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।

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