Kashi Railways Station: लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार बनारस स्थित मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस हो गया। लंबे समय से इस स्टेशन का नाम बदलने की मांग हो रही थी।
दरअसल राज्य सरकार भी बनारस को पुर्नजीवित करने की कोशिश में लगी है। इसीलिए इस नाम को पुनर्जीवित करने या नए गौरवपूर्ण अहसास से जोड़ने के लिए रेलवे से नाम बदलने की मांग उठ रही थी। फिलहाल आज सुबह मंडुआडीह रेलवे स्टेशन में बनारस नाम के नए बोर्ड लगाए जा चुके हैं। रेलवे स्टेशन पर लगाए गए इन बोर्डो पर संस्कृत में बनारस: लिखा गया है। प्लेटफार्मो पर बनारस: के बोर्ड हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में भी लिखे गए हैं। बनारस बाबा विश्वनाथ की नगरी होने के कारण भारत के उत्तर, पूर्व, पश्चिम, दक्षिणी राज्यों से ही नहीं विदेश के भक्त भी यहां आकर लंबे रहते हैं। आध्यात्मिक मार्ग की तलाश में हजारों विदेशी भक्त यहां रहते हैं। फिलहाल वारणासी में तीन रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से काशी कैंट का स्टेशन सबसे पुराना है, दूसरा वारणासी का है और तीसरा स्टेशन मंडुआडीह का था, जिसका नाम बदल दिया गया है।
संस्कृति के अहसास से जुड़ा बनारस रेलवे स्टेशन, वाराणसी या काशी ही नहीं बाबा विश्वनाथ की नगरी का एक नाम बनारस भी बड़ा प्रचलित है। बनारस भी काशी का ही पर्याय है।