Pegasus Phone Tape: क्या एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने रचा है पीगासस कांड?

Phone Hacking : जिस पीगासस फोन टैपिंग कांड के कारण पूरे देश में हंगामा चल रहा है, उस पूरे तथाकथित खुलासे के पीछे एमेनेस्टी इंटरनेशनल नाम सामने आ रहा है, ये वो संस्था है, जिसको मोदी सरकार ने देश विरोधी काम के चलते यहां बैन कर दिया था। लिहाजा मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए अब तरह तरह के हथकंडे अपना रही है। खुद गृहमंत्री अमित शाह ने इसको लेकर कहा है कि ये भारत को बदनाम करने के लिए विघटनकारी ताकतों की साजिश है।

दरअसल सीएए आंदोलन को हवा देने और इसके लिए एमेनेस्टी फंड मुहैया करा रही थी। इसके खुलासे के बाद जब ईडी ने जांच के बाद उसके खातों को फ्रीज किया था तो एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत से कामकाज समेट लिया। इस संस्था को FCRA नियमों के उलंघघन का दोषी भी पाया गया था। लिहाजा इसके अकाउंटस भी फ्रीज किए गए थे। इसके साथ साथ भीमा कोरेगांव मामले में भी इस संस्था के माओवादियों को फंड मुहैया कराने से लेकर उन्हें लीगल सहायता भी दी गई थी। अब यही एमेनेस्टी इंटरनेशनल पीगासूस फोन हैकिंग मुख्य कर्ताधर्ता है, जोकि भारत में अपने कारोबार को बंद करने से परेशान हैं।

भारत के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र बरतरिया के मुताबिक अब वो समय आ गया है जब भारत के खिलाफ किसी भी मनोवैज्ञानिक युद्ध के खिलाफ टाडा या पोटा जैसा कानून लाना जरूरी हो गया है।

बरतरिता के मुताबिक भारत विरोधी और जो संगठन भारत में पहले से बैन हो चुका है। उस समेत कई सारी इंटरनेशनल फंडिग भारत विरोधी और भारत सरकार विरोधी माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। ह्यूमन राइट और नो ह्यूमन राइट चाहे कोई भी मामला हो, किसी को भी इज़ाजत नहीं दी जानी चाहिए कि भीमा कोरेगांव जैसे क्राइम के फेवर में इवायरमेंट बनाने की कोशिश करे और उसके जस्टिफाइ करने की कोशिश करे। अब वो समय आ गया है कि साइक्लोजिकल वायरफेयर को एक संज्ञेय अपराध बनाना चाहिए। साथ इससे निबटने के लिए भी टाडा या पोटा जैसा कानून लाना चाहिए।

न्यूजक्लिक और पीगासूस मॉडल एक ही हैं

पांचजन्य के संपादक हितेष शंकर के मुताबिक राजनीति और मीडिया के विशेष तंत्र के तार कहां जुड़े हुए हैं, ये इस प्रकरण से खुलकर सामने आया है और इस खुलासे से जिन्हें बैचेनी है, वो भी खुलकर सामने आ रहे हैं। अगर मीडिया को ये अधिकार है कि वो दबी हुई बातें निकालता है तो अगर मीडिया (न्यूजक्लिक) की भी दबी हुई बातें निकलती हैं तो आपत्ति क्यों होनी चाहिए ? पिगासूस और न्यूजक्लिक मॉडल की साथ में बात करनी चाहिए। चाइना सीधे तौर पर भारत के खिलाफ न्यूज साइट को फंड कर रहा है। दूसरी ओर पीगासूस में एमेनेस्टी फंड कर रहा है, आप न्यूजक्लिक और फोन टैप मामले को अलग अलग करके नहीं देख सकते हैं। आपको ये देखना पडेगा कि भारत में फॉल्ट लाइन की राजनीति को बड़ा करने के लिए और विदेशी हितों को पुष्ट करने के लिए ये काम कर रही हैं।

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