आखिरकार नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर कुर्सी पर बैठाने के लिए खुद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पहुंचे हैं। सूत्रों के मुताबिक सिद्धू ने अमरिंदर सिंह से ना तो माफी मांगी और नहीं उनसे कोई बातचीत की पहल की। उल्टे सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस की प्रधानी संभालने के बाद अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही साफ किया कि पंजाब कांग्रेस के दफ्तर में अब मंत्रियों को समय लगाना पड़ेगा।
दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू आज विधिवत कांग्रेस की पंजाब की कमान संभालने जा रहे हैं। ताजपोशी समारोह से पहले पार्टी के सभी विधायक, सांसद, मंत्री व वरिष्ठ नेता पंजाब भवन में कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा रखी गई टी पार्टी में शिरकत करने पहुंचे हैं। इसमें नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल हुए। सिद्धू पार्टी में कैप्टन के साथ बैठे नजर आए। साथ में पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत भी बैठे हैं।
बताया जा रहा है कि पंजाब भवन में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने नवजोत सिंह सिद्धू के लिए कुर्सी लगाई गई थी। जब सिद्धू अपनी सीट पर बैठने लगे तो कुछ विधायकों ने कहा कि आप सीएम साहब के साथ ही बैठो। सिद्धू खुद अपनी कुर्सी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के पास ले गए और दोनों ने इकट्ठे बैठकर चाय पी। इस दौरान दोनों के बीच हल्की फुल्की बात भी हुई। उम्मीद की जा रही थी कि इससे कैप्टन व सिद्धू के बीच कड़वाहट कुछ कम होगी, लेकिन इसके बाद की घटनाओं से साफ हो गया कि सिद्धू पंजाब में संगठन को मज़बूत करने के लिए आएं हैं। इससे सरकार अगर परेशानी होती है तो होती रहे।
सिद्धू ने स्टेज पर अपने भाषण से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधान लाल सिंह व राजिंदर कौर भट्ठल के पांव छूएं और फिर माइक संभाल लिया। अपने पहले भाषण में ही सिद्धू ने साफ कर दिया कि वो कैप्टन के दबाव में आने वाले नहीं है। जब बोलने का मौका मिला तो सिद्धू ने सीट से उठते हुए कैप्टन की तरफ देखा तक नहीं। सिद्धू ने जब स्टेज से बोलना शुरू किया तो लगा मानो वो सरकार विरोधी स्टेज पर बोल रहे हों। चिट्टे (नशे) से अनाथ हुए बच्चों व बेऔलाद हुए मां-बाप की बात जहां सिद्धू ने की तो वहीं श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का इंसाफ न मिलने की बात भी उठाई।