Honey : कोरोना के कारण दुनियाभर में प्राकृतिक शहद की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत ने भी अपने निर्यात में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी कर ली है। लेकिन भारत में शहद उत्पादन की संभावना और इसकी वर्तमान क्षमता में बहुत अधिक अंतर है, लिहाजा भारत को अपने शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयासों में तेजी लानी चाहिए।
प्राकृतिक शहद का अंतरराष्ट्रीय बाजार करीब 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और इसके 2025 तक 10.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
अभी पूरी दुनिया में 1,779.6 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है। चीन दुनिया के लगभग 28% शहद का उत्पादन करता है, इसके बाद तुर्की (5.9%), ईरान (4.5%) और अमेरिका (4.1%) का स्थान आता है। भारत शहद का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो दुनिया के उत्पादन का 3.5% हिस्सा है।
पिछले दशक के दौरान, भारत का शहद निर्यात करीब 400 करोड़ रुपये से बढ़कर 740 करोड़ रुपये तक पहंच गया है। भारतीय शहद की मांग यूएसए, सऊदी अरब और यूएई में हैं।
केंद्र सरकार की मधुमक्खी पालन विकास समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में 34 लाख मधुमक्खी कॉलोनियों है जबकि भारत में लगभग 20 करोड़ मधुमक्खी कॉलोनियों की क्षमता है।
सामान्य भाषा में, शहद को मधुमक्खियों द्वारा उत्पादित एक प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है और एक पौधे के पराग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। शहद के महत्वपूर्ण घटकों में कार्बोहाइड्रेट, पानी, नाइट्रोजनयुक्त पदार्थ और खनिज शामिल हैं।
शहद में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं; इसलिए इसमें संक्रमण का विरोध करने, घावों और जलन को ठीक करने और सामान्य सर्दी और खांसी से राहत देने की क्षमता है।
इसके अलावा, शहद में कैल्शियम, तांबा, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, पोटेशियम, फास्फोरस और जस्ता जैसे खनिज भी होते हैं।
2021-08-01