फिल्म चक दे इंडिया में जो कहानी भारतीय टीम की थी, लगभग वैसा ही ओलंपिक में भारतीय महिला टीम के साथ अभी तक हो रहा है। टीम ने इतिहास बनाकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया है। लेकिन इसके पीछे टीम के साथ साथ एक ऐसे व्यक्ति की मेहनत भी है। जिसने इस टीम को ओलंपिक जैसे बड़े स्तर पर डिलीवरी करने के काबिल बना दिया है। वो है टीम के कोच सोजर्ड मारिजन।
हालैंड की टीम से लंबे समय तक सफल प्लेयर के तौर पर हॉकी की पारी खेल चुके खुद एक मोटिवेशनल स्पीकर हैं। वो टीम के भीतर एक मजबूत मानसिक संकल्प बनाने में विश्वास करते हैं।
जब Sjoerd Marijne ने 2017 में भारतीय हॉकी महिला टीम के मुख्य कोच के रूप में पदभार संभाला था, तो टीम तीन दशकों में पहली बार ओलंपिक खेल कर वापस लौटी थी। हालांकि ओलंपिक में जाना अपने आप में एक उपलब्धि थी, लेकिन टीम पदक की चुनौती पेश कर सके, इसमें वो सक्षम नहीं थी। लिहाजा टीम जीत के बिना भारत लौट आए और वापस लौटने पर कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने संन्यास लेने का फैसला किया।
अब टीम के मुख्य कोच बनाए गए डचमैन सोजर्ड मार्जिन पर टीम को दोबारा बनाने की जिम्मेदारी भी आ गई। Sjoerd जानते थे कि उसे जल्द से जल्द काम पर लगना होगा, क्योंकि अगला ओलंपिक जल्द ही दोबारा आने वाला है। उनका मानना था कि टीम तकनीकी तौर पर बहुत बढ़िया है। आने वाले समय में टीम की फिटनेस पर काम किया जा सकता है, लेकिन मानसिक तौर पर टीम को मजबूत करना सबसे जरूरी काम था। वह यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि लड़कियां मैच के दौरान कभी भी हार न मानें। हालांकि इसे स्थापित करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन भारतीय हॉकी टीम ने इस मानसिक दृढ़ता को अपने ऊपर ले लिया है।
मार्जिन के मुताबिक “यह सब उस मानसिकता के बारे में है, जिस तरह से मैं सोच रहा हूं। और हां, हमने (उस दिशा में) कुछ बड़े कदम उठाए हैं। अन्यथा, हम योग्य नहीं होते
Sjoerd Marijne-युग में अब खिलाड़ियों को मैदान पर ही अपनी समस्या का समाधान खोजने के लिए कहा जाता है।
भारतीय ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर के मुताबिक “कोच चाहते है कि हम जिस समस्या का सामना कर रहे हैं उसका उत्तर खुद ढूंढे। हां, जरूरत पड़ने पर वह हमारी मदद करने के लिए हमेशा मैदान पर रहते है, लेकिन सोजर्ड के साथ, रास्ता खोजने की जिम्मेदारी हम पर भी है।
यह बदलाव भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए हाल ही में कुछ सर्वश्रेष्ठ टीमों के खिलाफ हुए मुकाबलों में काम आया है। चाहे वह मौजूदा ओलंपिक चैंपियन ग्रेट ब्रिटेन से उनके घर में खेले गए मैच हो या फिर स्पेन के खिलाफ, भारतीय टीम कभी भी एक चुनौती से पीछे नहीं हटी, बस इसी बदलाव के चलते टीम आज सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं।