पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर संचार व्यवस्था के साथ मिलेगी मेडिकल सर्विस
पहाड़ी क्षेत्रों में मेडिकल सर्विस देने वाली सिक्स सिग्मा हाई आल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस ने संचार प्रणाली को मजबूत किया है। संस्था के 20 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को भारत सरकार के संचार मंत्रालय के टेली कॉमनिकेशन विभाग द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण करके, एक साथ सबसे अधिक सैटेलाइट संचार सेवा लाइसेंस प्रदान किए हैं।
सिक्स सिग्मा हाई आॅल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने ने सैटेलाइट लाइसेंस मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वैसे तो देश में हजारों सैटेलाइट लाइसेंस धारक है, लेकिन सिक्स सिग्मा हाई आॅल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस को एक साथ 20 लाइसेंस मिलना, ये संस्था के लिए गौरव के क्षण है। अब सिक्स सिग्मा हाई आॅल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के सदस्य पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाली यात्राओं में बेहतर संचार व्यवस्था के साथ मेडिकल सर्विस दे सकेंगे।
डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में कार्य करने के दौरान संचार व्यवस्था के लिए जूझना पड़ता था। बेहतर संचार सुविधा न होने के कारण पीड़ित को समय पर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाती थी, जिससे उसके साथ बड़ी घटना होने की संभावना बनी रहती थी।
सिक्स सिग्मा हाई आल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के सीईओ डॉ. भारद्वाज ने कहा, आपदा के दौरान संचार व्यवस्था धवस्त हो जाने से चिकित्सा प्रदान करने वाली टीम को पीड़ित के पास पहुंचने और स्थिति जानने के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, अब संस्था के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को सैटेलाइट ‘हैम-रेडियो’ लाइसेंस मिल जाने से पीड़ित लोगों को कठिन से कठिन परिस्थिति में भी मेडिकल सहायता आसानी से मिल सकेंगी।
आपको बता दें कि लगभग हर आपदा के समय हैम रेडियो का इस्तेमाल सूचनाएं पहुंचाने में होता आया है। 2015 नेपाल भूकंप और 2016 में उत्तराखंड आई बाढ़ के समय लोगों को मदद पहुंचाने से लेकर उनके परिजनों से हैम रेडियो के जरिए बात करवाई गई थी। इतना ही नहीं 2004 में आई सुनामी के लिए सबसे पहले अलर्ट हैम रेडियो से ही दिया गया था। तभी सरकार ने आसपास के इलाकों को समय रहते काफी हद तक खाली करवा लिया था और काफी नुकसान होने से बच गया था।
एक बेहद संवेदनशील माध्यम
सैटेलाइट रेडियो पर बड़ी आसानी से आप दुनिया में बैठे किसी भी व्यक्ति से बात कर सकते हैं। इससे आतंकवादी और देश विरोधी घटनाएं होने का डर हर समय बना रहता है। यही वजह है कि इसका लाइसेंस देने से पहले सरकार कड़ी जांच प्रक्रिया अपनाती है। साथ ही इस पर बात करने के लिए कई हिदायतें भी हैं जिनमें आप किसी से अभद्र भाषा या कूट भाषा (सीक्रेट लैंग्वेज) में बात नहीं कर सकते, किसी दूसरे व्यक्ति का मैसेज पास नहीं किया जा सकता है। चूंकि इसका उपयोग मानव जाति की सेवा के लिए है इसलिए इस पर किसी भी प्रकार का व्यवसायिक प्रचार भी नहीं किया जा सकता है।
क्या है सैटेलाइट हैम रेडियो*?
आमतौर पर हैम रेडियो का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है जब संचार के सारे माध्यम ठप्प पड़ जाते हैं। किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में समय सबसे पहले फोन और इंटरनेट बाधित होते हैं। ऐसे समय में हैम रेडियो के माध्यम से ही सूचनाएं पहुंचाई जाती हैं। हैम रेडियो से सीधे तरंगो के माध्यम से संदेश एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जाता है इसलिए इसके बाधित होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। आपदा प्रबंधन और सेनाएं भी इसका इस्तेमाल करती हैं।