टोक्यो ओलंपिक में झज्जर का बेटा दीपक पुनिया दिखा रहा दमखम
दीपक पुनिया ने 86 किलोग्राम भार वर्ग में सेमी फाइनल में किया प्रवेश
चीन के लिन ज़ुशेन को दीपक पुनिया ने 6-3 से हराकर अंतिम चार में बनाई जगह
आज साढ़े 3 बजे दीपक का मुकाबला यूएसए के डेविड मॉरिस टेलर से होगा।
झज्जर के छारा गांव में खुशी का माहौल
पिता बोले बेटे के सेमीफाइनल में प्रवेश से हुई छाती चौड़ी।
5 साल के दीपक ने शुरू किया था खिलाड़ी बनने का सफर
ओलंपिक में कुश्ती के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी दीपक दिखा रहे हैं दमखम।
दीपक पुनिया के पिता ने दूध बेचकर की है दीपक की परवरिश
शुरुआत में अपने ही खेतों में पिता ने सिखानी शुरू की थी कुश्ती।
बहन को भी उम्मीद स्वर्ण पदक जीतकर लौटेगा भाई दीपक पुनिया।
किसान परिवार से हैं रवि दहिया
रवि के पिता राकेश कुमार आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण कुश्ती में आगे नहीं बढ़ सके थे, लेकिन अपने बेटे को वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करते देखना चाहते हैं। बुधवार को रवि ने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया। राकेश खुद भी कुश्ती करते थे और आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन गुजर-बसर के लिए खेती में जुट गए।
सोनीपत के गांव नाहरी के मूल निवासी रवि को उनके पिता गांव के संत हंसराज पहलवानी के लिए लेकर गए थे। गांव के ही अखाड़े में उन्होंने रवि को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने शुरू किए। कुछ समय बाद दस वर्ष की आयु में ही रवि को छत्रसाल स्टेडियम भेजा गया। उन्होंने वर्ष 2015 में जूनियर रेसलिंग विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता।