Adman Kejriwal : दिल्ली के मुख्यमंत्री एक बार फिर अपने विज्ञापनों के लिए सवालों के घेरे में दरअसल अरविंद केजरीवाल ने ओलंपिक को लेकर पूरी दिल्ली को पोस्टरों और बैनरों से पाट दिया है और इसके लिए उन्होंने 8 करोड़ रुपये खर्च कर दिए है। जबकि जिन खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं, उनको दिल्ली सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया है। बड़ी बात ये है कि दिल्ली सरकार ने ये सारे विज्ञापन दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के खाते से किए हैं। जोकि अभी तैयार ही नहीं हुई है।
दिल्ली के चार खिलाड़ी ओलपंकि में हिस्सा लेने गए थे। टेबल टेनिस स्टार मनिका बतरा, निशानेबाज दीपक कुमार, 400 मीटर में भाग लेने वाले अबोज जैकब और सार्थक भामरी के पोस्टर केजरीवाल सरकार ने जगह जगह लगा दिए हैं। हालांकि दिल्ली सरकार ने इसमें से किसी खिलाड़ी की कभी मदद नहीं की है। ओलंपिक में 400 मीटर की रिले में एशियन रिकॉर्ड बनाने वाले सार्थक भाबरी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने उनकी कभी मदद नहीं की है। पोस्टर तो लगा दिए कि जीत के आना लेकिन जीत के कैसे आना ये देखा ही नहीं। उन्होंने कहा कि इस 8 करोड़ विज्ञापन वाले पैसे का थोड़ा बहुत ही हमें दे देते तो हम ओलंपिक में और बेहतर कर सकते थे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ओलंपिक खिलाड़ियों को कुछ ना देकर उनके नाम पर अपना विज्ञापन देने के बाद दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा है कि, “8 करोड़ की लागत से ऐसे होर्डिंग लगे हैं , ये पैसे दिल्ली में खिलाड़ियों पर लगा देते तो शायद कुछ होता।नीचे की लाइन ध्यान से देखिए- दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी लिखा है जो कहीं नहीं है। ये कहाँ है ,कब बनी कोई तो बताओ। दिल्ली वालों क्या हो गया है आपको ? झूठा इंसान” इससे पहले भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार अपने विज्ञापनों के लिए चर्चा में रहे हैं। एक ओर तो दिल्ली सरकार पैसे की कमी की बात करती है। दिल्ली की म्यूनिस्पल कॉरपोरेशन को कई बार अदालतों में जाकर दिल्ली सरकार से अपने हिस्से का पैसा लेना पड़ा है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार अपने विज्ञापनों में पैसा पानी की तरह बहाते रहते हैं।
दरअसल केजरीवाल सरकार ने स्पोर्टस यूनिवर्सिटी की स्थापना की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक इस यूनिवर्सिटी को लेकर सरकार ने कुछ भी नहीं किया है।इससे पहले कोरोना के समय भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार ने ना तो ऑक्सीजन प्लांट बनाने, ना ही नए अस्पतालों के लिए कुछ किया और तो और जो अस्पताल बन चुके हैं। उनको चालू कराने के लिए बेसिक काम भी नहीं कराया। लेकिन उस समय भी केजरीवाल सरकार ने हर रोज़ 70 लाख रुपये से ज्य़ादा के विज्ञापन दिए थे।