Reservation to Nishads: यूपी चुनावों से पहले अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण?

Reservation to Nishads: उत्तर प्रदेश में लंबे समय से पिछड़े और अतिपिछड़ों को आरक्षण के मामले में योगी सरकार एक बड़ा फैसला कर सकती है। संभावना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार निषाद की उपजातियों सहित सत्रह अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर लें। दरअसल निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद और उनके बेटे सांसद प्रवीण निषाद शनिवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। उम्मीद जताई जा रही है कि उन्हें इस बारे में आश्वासन मिल चुका है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब आते ही हर बार की तरह ही अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग छोटे दलों ने तेज कर दी। विपक्ष भी इस मुद्दे को उठाकर कुछ जातियों को भड़काकर उन्हें अपने पाले में लाना चाहते हैं। ऐसी सत्रह अतिपिछड़ी जातियों में से खास तौर पर निषादों को विपक्षी पार्टियां अपने पाले में खींचने की कोशिश में लगी हैं। दरअसल, इन सत्रह में तेरह उपजातियां निषाद समाज की हैं। निषाद नेता दावा करते हैं कि उनकी आबादी उत्तर प्रदेश में लगभग 13 परसेंट है और करीब 160 विधानसभा सीटों पर अच्छा-खास प्रभाव है। ऐसे में कोई पार्टी इस जाति-वर्ग को छोडऩा नहीं चाहता।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सहयोगी रही निषाद पार्टी के अध्यक्ष को केंद्र में मंत्री बनाया जाना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसको लेकर वो बीजेपी ने नाराज थे। मगर, उसके बाद से प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं से कई दौर बातचीय में इसी प्रयास में हुई कि यह सियासी नाता टूटे नहीं। इसी क्रम में डा. संजय निषाद और प्रवीण निषाद की बैठक गृह मंत्री के आवास पर जेपी नड्डा और अमित शाह के साथ करीब एक घंटे बैठक चली। बैठक के बाद यह संभावना मजबूत हो गई है कि जल्द ही योगी सरकार सत्रह अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आरक्षण प्रस्ताव विधानमंडल से पारित करा कर केंद्र को भेज दे। चूंकि, वहां भी भाजपा सरकार है और इस दिशा में समन्वय के साथ काम चल रहा है, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार भी प्रस्ताव को हरी झंडी देने में देर न लगाए। ऐसे में पिछड़ी जातियों को एकजुट करने का यह बड़ा दांव भाजपा का होगा।

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