Last flight from Kabul जो अमरिका 20 साल पहले आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई के नाम पर अफगानिस्तान में घुसा था, वो आतंकी तालिबान के हाथों अफगानिस्तान की सत्ता सौंपकर वापस लौट गया है। वो भी तालिबान आतंकियों की डेडलाइन से पहले।
दरअसल ISIS-K के काबुल एयरपोर्ट पर हमले के बाद तालिबान आतंकियों ने अमेरिका को चेताया था कि वो 31 अगस्त तक अफगानिस्तान को खाली कर दें। पेंटागन ने सोमवार को कहा कि, 20 साल के अमेरिकी आर्मी के अफगानिस्तान में विभिन्न सैनिक कार्रवाईयों के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने सोशल मीडिया पर बताया कि अफगानिस्तान छोड़ने वाला आखिरी अमेरिकी सैनिक मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू (Major General Chris Donahue) हैं, जो 30 अगस्त को सी-17 विमान में सवार हुए हैं। यह काबुल में अमेरिकी मिशन के खत्म होने का प्रतीक है। इसके साथ ही यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल केनेथ मैकेंजी ने पेंटागन में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को पूरा करने की घोषणा की थी। उधर काबुल से अमेरिका का अंतिम फ्लाइट उड़ने के बाद तालिबानी आतंकियों ने खुशी में हवा में फायरिंग की।
जनरल केनेथ मैकेंजी ने कहा कि, “मैं यहां अफगानिस्तान से अपनी वापसी के पूरा होने और अमेरिकी नागरिकों को वहां से निकालने के लिए बाद सैन्य मिशन की समाप्ति की घोषणा करने के लिए हूं”। मैकेंजी ने बताया कि आखिरी अमेरिकी सी-17 सैन्य विमान ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से आधी रात को उड़ान भरी है। मैकेंजी के मुताबिक तालिबान और अमेरिकी सैनिकों के बीच गहरी दुश्मनी के बावजूद अमेरिका के वहां से निकलने वाली अंतिम उड़ानों के ऑपरेशन में उन्होंने मददगार की भूमिका निभाई।
अमेरिका ने अफगानिस्तान में इंट्री अल कायदा के 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद की थी। तब वहां तालिबान का ही राज था। राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस साल की शुरुआत में अमेरिकी सेना की वापसी के लिए 31 अगस्त की समय सीमा तय की थी।