Initiative for Peace in Kashmir: आर्मी ने शुरु किया बिना हथियारों से आतंकवाद का खात्मा

कश्मीर में सेना और पुलिस ने मिलकर बिना हथियारों के आतंक के खात्मे की योजना पर काम शुरु कर दिया है। इसके तहत सेना और पुलिस मिलकर सक्रिय आतंकियों की घर वापसी की कोशिश कर रहे हैं, अब सेना और पुलिस अधिकारी सीधे सक्रिय आतंकियों के परिवारों से बात कर रहे हैं।

Initiative for Peace in Kashmir: कश्मीर घाटी में पिछले कुछ दिनों में ऐसा कुछ हो रहा है, जिसके बारे में कुछ सालों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। कल कश्मीर में पुलिस अधिकारियों, सेना के प्रमुख कमांडर्स ने घाटी में सक्रिय आतंकियों के परिवारों से आमने सामने बैठकर बात की है। ये पहली बार है कि आतंकियों के परिवार वाले पुलिस अधिकारियों के बुलाने पर आए और उनकी बातें सुनी और अपनी चिंताएं भी जाहिर की। इससे पहले लाल चौक पर तिरंगे रंग में रंग गया है, साथ ही लाल चौक पर ही जन्माष्टमी की जलूस भी निकला था।
मंगलवार को कश्मीर में सेना, पुलिस और अन्य अधिकारियों ने घाटी में सक्रिय आतंकवादियों के 80 से अधिक परिवारों के साथ सीधे बातचीत की, अपनी तरह से इस पहले कार्यक्रम में उन्होंने गलत रास्ते पर चले गए अपने बच्चों को वापस समाज में वापस लाने का आग्रह किया।


पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), कश्मीर, विजय कुमार, जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी), 15 कोर, लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे और जीओसी, विक्टर फोर्स, मेजर जनरल राशिम बाली ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां में परिवारों के साथ बातचीत की थी।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने परिवारों से कहा, “मैंने जीओसी विक्टर (फोर्स) से अनुरोध किया कि हमें आमने-सामने बातचीत करनी चाहिए, ताकि मैं आपसे अपने बच्चों को इस (आतंकवाद) से बाहर निकालने का अनुरोध कर सकूं।” “चुपचाप आप उन्हें बाहर निकालो। आप इसे कैसे करेंगे, मुझे नहीं पता। यह आप पर निर्भर करता है। लेकिन एक ऑपरेशन के दौरान, अगर कोई लड़का (आतंकवाद छोड़ देता है) अपने हथियार डाल देता है तो, उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हम लेत हैं। उसपर चलने वाली गोली हम लेंगे, हम (आर्मी) आपके बच्चे को बचाएंगी। यह मेरा आपसे वादा है।
यह पहली बार था, जब शीर्ष पुलिस और सेना के अधिकारियों ने दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों के परिवार के सदस्यों के साथ सीधे बातचीत की है, ये उन आतंकवादियों के परिवार हैं, जोकि फिलहाल घाटी में सक्रिय हैं। सूत्रों ने कहा कि जो परिवार आए थे वे शोपियां, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग जैसे दक्षिण कश्मीर के जिलों से थे।
फरवरी में, मेजर जनरल बाली ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में युवाओं के साथ आमने-सामने बातचीत की थी। परिवार के सदस्यों के साथ बात करते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि सेना उन युवाओं के साथ काम करेगी जो हथियार छोड़ देते हैं, “उनकी चिंताओं को दूर करते हैं और उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने में मदद करेंगे”।
बाद में रक्षा प्रवक्ता ने कहा, “बातचीत का उद्देश्य सक्रिय आतंकवादियों के परिवारों के बीच विश्वास पैदा करना और सुरक्षा बलों की मंशा को उनके सामने रखना था। सामाजिक और पारिवारिक समर्थन आतंकियों को हिंसा और मौत के रास्ते से वापस मुख्यधारा में ला सकता है। सुरक्षा बल ‘बिना हथियारों के आतंकवादियों’ पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

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