Ganesh Chaturthi on 10 Sep: इस बार मंगलमूर्ति को गणेश चतुर्थी पर 10 सितंबर को विराजित किया जाएगा। इस दिन चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ-साथ रवि योग भी रहेगा। हालांकि इसी दिन शुभ कार्यों के लिए अशुभ माने जाने वाली भद्रा भी है, लेकिन इसका असर विघ्नहर्ता को विराजित करने में नहीं पड़ेगा।
गणेश चतुर्थी पर दस दिनी महोत्सव के दौरान विभिन्न तीज-त्योहार मनाए जाएंगे। महाराष्ट्रीयन समाज में जहां तीन दिन के लिए ज्येष्ठा गौरा मनाया जाएगा, वहीं दिगंबर जैन समाज के 10 दिनी पर्युषण पर्व भी शुरू होंगे। भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद अब गणेश उत्सव की तैयारियां देश के विभिन्न हिस्सों में शुरू हो गई हैं। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत नौ सितंबर को रात 2.06 बजे होगी, जो 10 सितंबर को रात 12.02 बजे तक रहेगी।
गणेश मूर्ति स्थापना के दिन बहुत ही शुभ तीन योग साथ साथ रहेंगे, जहां चित्रा नक्षत्र शाम 4.59 बजे ही होगा, उसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा। वहीं सुबह 5.42 बजे से दोपहर 12.58 बजे तक रवि योग भी रहेगा। ज्योतिर्विद अमन गोस्वामी के मुताबिक, गणेशोत्सव 10 सितंबर से 19 सितंबर अनंत चतुर्दशी तक चलगेा। भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना का श्रेष्ठ समय चतुर्थी के दिन मध्याह्नकाल में है। इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, अगर चंद्रमा देख लिया तो माना जाता है कि ऐसे व्यक्ति पर झूठे आरोप लगते हैं।
आचार्या अमन गोस्वामी के मुताबिक गणेश चतुर्थी पर भद्रा सुबह 11.08 बजे से रात 09.57 बजे तक रहेगी। हालांकि भद्रा में शुभ कार्य करना अनुचित होता है, लेकिन भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, इसलिए स्थापना भगवान गणेश की हो रही है, इसलिए इनकी स्थापना भद्रा की वजह से बाधित नहीं होती है। हालांकि भद्रा तीन प्रकार की मानी गई है। चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ राशि में हो तो भद्रा मृत्युलोक और जब मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक राशि में हो तो स्वर्ग लोक की होती है। वहीं जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु, मकर राशि में हो तो भद्रा पाताल लोक की होती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और ग्यारस पर भद्रा का अशुभ प्रभाव वैसे भी नहीं होता है। इसलिए भद्रा का गणेश मूर्ति स्थापना पर असर नहीं पड़ेगा।
2021-09-02