Hakkani Network: आतंकियों का ख़ानदान क्यों कहते हैं हक्कानी नेटवर्क को?

Hakkani Network: कभी रुसियों के खिलाफ अमेरिका का हथियार बने हक्कानी ग्रुप पिछले कुछ सालों से अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन रहा है। पाकिस्तान के पहाड़ी इलाकों में अपना नेटवर्क बनाए और वहां ट्रेनिंग लेने वाले हक्कानी ग्रुप के संस्थापक परिवार में कई सारे ईनामी आतंकवादी है, जोकि अब अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री से लेकर आंतरिक सुरक्षा मंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं।
अमेरिका ने इस आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के टॉप 5 कमांडरों पर 3 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है। हालांकि अब अमेरिका खुद चोरी छिपे इन आतंकियों से पाकिस्तान के जरिए संपर्क साधे हुए है। इस आतंकी समूह पर काबुल में भारतीय दूतावास समेत अनेक जगहों पर हमले करने के आरोप हैं। हक्कानी नेटवर्क तालिबान से जुड़ा समूह है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में इसे आतंकी नेटवर्क घोषित किया था।

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अजीज हक्कानी, खलील अल-रहमान हक्कानी, याहया हक्कानी और अब्दुल रउफ जाकिर की जानकारी देने पर 50-50 लाख डॉलर ईनाम घोषित किया हुआ है। इसी संगठन प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी पर एक करोड़ डॉलर का इनाम है, जोकि अब अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री बनने की कोशिशों में लगा हुआ है। अमेरिका के ‘रिवॉर्ड फॉर जस्टिस’ प्रोग्राम के तहत इन आतंकियों पर इनाम रखा गया था। हालांकि अब इसी को कारण बताकर कंधारी तालिबान हक्कानी ग्रुप को सत्ता से बेदखल करने की कोशिशों में लगा है।
गौरतलब है कि सिराजुद्दीन हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन का बड़ा बेटा है। जनवरी 2008 में काबुल के सेरेना होटल पर इसी सिरजुद्दीन के कहने पर हमला हुआ था। इसमें एक अमेरिकी नागरिक और 5 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। अजीज हक्कानी सिराजुद्दीन का भाई है। वह अपने आतंकियों के साथ अफगान बलों पर हुए कई सीमा पार हमलों में शामिल रहा है। आतंकी समूह का वरिष्ठ सदस्य खलील अल-रहमान, सिराजुद्दीन का चाचा है। वो हक्कानी नेटवर्क के लिए धन उगाही का काम करता है। उसके आतंकवादी समूह अलकायदा से भी घनिष्ठ संबंध हैं। याहया हक्कानी भी सिराजुद्दीन का करीबी रिश्तेदार हैं। वह समूह के अभियान, वित्त और प्रचार संबंधी गतिविधियों को संभालता है। जब बाकी लोग अंडरग्राउंड होते हैं तो याहया ही ग्रुप चीफ की जिम्मेदारी संभाला है। अब्दुल रउफ जाकिर समूह के सुसाइड बाम्ब दस्ते का चीफ है। वह समूह के हथियारों और उनके प्रशिक्षण भी कराता है। काबुल में भारतीय दूतावास पर 2 बार 2008 और 2009 में हमले हुए, जिनमें 75 लोग मारे गए थे। इसके लिए हक्कानी नेटवर्क को जिम्मेदार माना गया।

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