Punjab political devlopment: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को देश का कृषि मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है। कल शाम गृह मंत्री अमित शाह के साथ कैप्टन की मुलाकात के बाद मालूम चला है कि दोनों के बीच कृषि कानूनों पर लंबी बातचीत हुई है। दोनों नेताओं के बीच चली 45 मिनट की बातचीत के बाद कहा जा रहा है कि कैप्टन बीजेपी में शामिल होंगे और फिर उन्हें कृषि जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।
कैप्टन के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि दोनों के बीच लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा हुई। साथ ही नए कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP की गारंटी देने की मांग पर भी बातचीत हुई।
उधर कहा जा रहा है कि गुरुवार को कोई बड़ा कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हो सकता है। इसे कैप्टन से जोड़कर देखा जा रहा है। कैप्टन मंगलवार को दिल्ली पहुंचे थे। लेकिन उन्होंने बुधवार को अमित शाह से मुलाकात की। चर्चा है कि अमरिंदर को बीजेपी राज्यसभा के रास्ते सरकार में भी ला सकती है और उन्हें कृषि मंत्री भी बनाया जा सकता है।
पंजाब में कांग्रेस आपसी झगड़ों में ही उलझ गई है। ऐसे में कैप्टन की इस मुलाकात ने पंजाब के साथ साथ पूरे देश में सियासी गर्माहट को और बढ़ा दिया है। कैप्टन का दिल्ली दौरा पंजाब की सियासत के मायने से काफी महत्वपूर्ण है। कैप्टन को अपमानित होकर CM की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। मुख्यमंत्री के तौर पर कैप्टन अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलते रहे हैं। हालांकि अब यह मुलाकात सियासी हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की अमित शाह से मुलाकात के बाद अब राजनैतिक पंडित कई तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अब कृषि सुधार कानून कैप्टन के लिए बड़ा काम हो सकता है। कैप्टन अब कानून को लेकर आंदोलनकारी किसानों से भी मुलाकात कर सकते हैं। इसे केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच मध्यस्थता से जोड़कर देखा जा रहा है। कैप्टन यह काम पहले करेंगे या फिर केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर करेंगे, इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए पंजाब चुनाव में ये तुरुप का इक्का हो सकता है।
कैप्टन शुरू से ही किसान आंदोलन के समर्थक रहे हैं। पंजाब में आंदोलन करीब एक महीने तक शांतिपूर्ण ढंग से चलता रहा था। इसके बाद किसान दिल्ली गए तो कैप्टन ने कोई रोक-टोक तक नहीं की थी। यहां तक कि उन्होंने केंद्र सरकार के किसानों को रोकने के निर्देश को मानने से भी इंकार कर दिया। किसानों के साथ कैप्टन के रिश्ते भी अच्छे हैं। जब उन्होंने धरने के बाद गन्ने की कीमतें बढ़ाई तो भी संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं बलबीर राजेवाल, मनजीत सिंह राय व अन्य नेताओं ने लड्डू खिलाकर उनका खूब स्वागत भी किया था।
क्या होगा आंदोलन समाप्ति का विकल्प
कैप्टन ने CM की कुर्सी छोड़ी तो बड़ा सवाल था कि उनका राजनैतिक भविष्य क्या होगा? कैप्टन से सीधे तौर पर भाजपा में शामिल होने के बारे में भी पूछा गया था। उन्होंने कहा कि सब विकल्प खुले हुए हैं। कैप्टन का इससे पहले 2017 में कांग्रेस हाईकमान से सीधे टकराव हुआ था। तब कैप्टन ने जाट महासभा बनाकर कांग्रेस को चुनौती दी थी। कैप्टन ने बाद में इसका खुलासा किया था कि वो बीजेपी में जाने का मन बना चुके थे।