Terror in Kashmir: जम्मू-कश्मीर में शांति से परेशान आतंकवादियों और उनके आकाओं ने अब आम लोगों को बंदुक का निशाना बनाने के लिए हकुम दिया है। मंगलवार को तीन अलग-अलग स्थानों पर तीन आम लोगों की हत्या कर दी गई। मंगलवार शाम श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के प्रतिष्ठित केमिस्ट माखनलाल बिंद्रू को आतंकियों ने उनके मेडिकल स्टोर में मार डाला। लाल बाजार इलाके में बिहार के एक व्यक्ति को भी गोली मारी गई है। 68 साल के बिंद्रू घाटी के उन चुनिंदा लोगों में थे, जिन्होंने 90 के दशक में भी कश्मीर घाटी को नहीं छोड़ा था। आतंकियों ने धमकी दी कि बाहरी लोग कश्मीर आकर स्थानीय लोगों के रोजगार न छीनें। तीसरा हमला बांदीपोरा में हुआ, जिसमें टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष को मारा गया है।
मसीहा की तरह थे माखनलाल बिंद्रू
माखनलाल बिंद्रू श्रीनगर के एक ऐसे केमिस्ट थे। जिनके बारे घाटी के लोग कहते थे कि अगर असली दवा चाहिए तो बिंद्रू की दुकान ले ले आओ। उनका परिवार तीन पीढ़ियों से श्रीनगर में दवाओं का कारोबार कर रहा है। जब 1990 में आतंकवाद चरम पर था, तब भी बिंद्रू ने अपना घर छोड़ा था। श्रीनगर में दशकों से यह बात मशहूर है कि जो दवा कहीं नहीं मिलेगी, बिंद्रू की दुकान पर मिलेगी। लोगों को उनपर बहुत भरोसा था। रघुनाथ मंदिर के पास हरि सिंह हाई स्ट्रीट पर उनकी दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती है। बिंद्रू के करीबी बशारत अहमद के मुताबिक, “आज कश्मीर ने असल बेटा खोया है”। श्रीनगर के ही एक अन्य उमर दानिश कहते हैं- मेरी मां हमेशा कहती थीं, असली दवाएं सिर्फ बिंद्रू की दुकान पर मिलेंगी।
बिंद्रू पर हमले के एक घंटे बाद अवंतीपोरा के हवला इलाके में आतंकियों ने बिहार के दलित वीरेंद्र पासवान को भी मार डाला। वीरेंद्र भेलपूरी और गोलगप्पे का ठेला लगाया करता था। इसके कुछ मिनट बाद बांदीपोरा के मो. शफी लोन की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
बीजेपी ने बिंद्रू की हत्या की निंदा की है। पार्टी प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि वे सबकी मदद किया करते थे और बहुत ही शांत व्यक्ति थे। उन्होंने हमेशा गरीबों की मदद की। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि क्या भयानक खबर है! वे बहुत ही दयालु थे। मैं इस हत्या की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि मैं बिंदरू को निजी तौर पर जानता था। उन पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कभी घाटी नहीं छोड़ी।