Political tourism: मृतक किसानों के परिवारवाले नेताओं के राजनैतिक पर्यटन के खिलाफ

Political tourism: मृतक प्रदर्शनकारी किसानों के परिवारवालों ने साफ किया है कि इस दुख कि घड़ी में वो इस मामले पर राजनैतिक रोटियां ना सेंके और उन्हें परेशान ना करें। हालांकि विधानसभा चुनावों से पहले सभी विपक्षी दलों के नेता मृतकों के घर पहुंचने के लिए बैचेन हैं। जिसमें सिर्फ मिलने के बाद राजनैतिक बयान के अलावा कोई भी दल मृतकों के परिवार वालों को कुछ नहीं देगा। इसको देखते हुए हिंसा में मृत किसान लवप्रीत सिंह के परिवार ने वीडियो के जरिए से राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों से निवेदन किया है कि उन्हें इस दुख की घड़ी में परेशान ना करें। उन्होंने कहा कि परिवार को इस दुख की घड़ी में शांति चाहिए, इसका राजनीतिक लाभ ना उठाया जाए। लवप्रीत के परिवारजन ने वीडियो के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चे को धन्यवाद दिया कि इस दुख की घड़ी में सारे किसान उनके साथ खड़े थे। साथ ही मृतक के परिवारवालों ने सरकार को भी धन्यवाद दिया कि इस दुख की घड़ी में परिवार को मदद दी।


राजनैतिक पर्यटन जारी

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में तो दंगल से पहले ही हिंसा हो गई, लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच घटना के बाद से ही कुश्ती चल रही है। यूपी के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले ही हुई इस घटना के बाद विपक्षी दलों में पहले पीड़ित और घटनास्थल तक पहुंचने की होड़-दौड़ रविवार से ही चल रही है। पहले दिन रात में ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा दिल्ली से लखनऊ पहुंचकर लखीमपुर निकली थी, लेकिन उन्हें सीतापुर में रोक कर हिरासत में ले लिया गया। लखीमपुर खीरी जाने के ऐलान के बाद बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लखनऊ एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया थ। समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने लखनऊ में सड़क पर प्रदर्शन किया। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी सीतापुर में हिरासत में ले लिए गए। अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी लखीमपुर जाने के लिए लखनऊ पहुंचे हैं। पहले इन्कार के बाद अब यूपी सरकार ने सभी दलों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने के लिए अनुमति दे दी है।
लखीमपुर खीरी में प्रियंका वाड्रा ने कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवजे की कोई परवाह नहीं है। उन्हें न्याय चाहिए। उन्हें न्याय तब तक नहीं मिलेगा जब तक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री इस्तीफा नहीं दे देते। क्योंकि उनके रहते हुए निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है।

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