Hijab CFI links exposed: क्या PFI पूरे देश में फैलाना चाहता है हिजाब विवाद

Hijab CFI links exposed: कर्नाटक में हिजाब मामले में अब एक नया खुलासा हुआ है। हिजाब बैन का विरोध करने की पूरी साज़िश PFI ने अपने छात्र संगठन CFI के जरिए कराई है। जिन चारों छात्राओं ने सबसे पहले ये विरोध शुरु किया था। वो सभी कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया यानि CFI की सदस्य हैं। सभी के सोशल मीडिया अकाउंट पर लगभग एक जैसे मुद्दे और एक जैसी भाषा का इस्तेमाल किया गया है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस मामले पर एजेंसियों के जो इनपुट मिले हैं। वो काफी शॉकिंग हैं। इस पूरे विवाद के पीछे बैन संगठन सिमी का पुराना मॉड्यूल जोकि अब पीएफआई हो चुका है, वो काम कर रहा है। अब ये संगठन कॉलेजों और स्कूलों में अपनी पैठ बनाने में लगा हुआ है और हिजाब बैन का विरोध ये पूरे देश में फैलाना चाहते हैं।

दूसरी ओर सोशल एक्टिविस्ट विजय पटेल ने भी लड़कियों और सीएफआई के संबंधों पर एक इंवेस्टिगेशन कर इसको सोशल मीडिया पर डाला है। विजय पटेल ने कहा है कि जिन लड़कियों ने हिजाब बहन को लेकर विरोध शुरू किया था वह दिसंबर में ही सोशल मीडिया पर आई थी और वह सीएफआई की एक्टिव मेंबर हैं। CFI, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का ही स्टूडेंट विंग है।

सोशल एक्टिविस्ट विजय पटेल ने बताया कि उन्होंने अपने इन्वेस्टिगेशन में पाया है कि चारों लड़कियां मुस्कान जैनब, आलिया असादी, आयशा और अलमास यह चारों लगभग एक ही समय अक्टूबर 2021 में ट्विटर पर एक्टिव हुई और चारों ही केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया की सदस्य भी बनी।

चारों के टि्वट से लगभग सीएफआई के मुद्दों पर ही आधारित है। इन्हीं चारों ने बाद में अपने को हिजाब बैन विक्टिम भी बताया है। हालांकि अपने बयान में कहा कि यह CFI के सदस्य नहीं है, लेकिन बीबीसी के एक इंटरव्यू में उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया की सीएफआई ने इन लड़कियों के साथ बातचीत की थी। लेकिन जब मैंने इनके सोशल मीडिया अकाउंटखंगाले तो पाया कि यह उन्हीं मुद्दों को उठा रही हैं। जिन मुद्दों को CFI उठाता रहा है। विजय पटेल के मुताबिक, यह पूरी कंट्रोवर्सी एक सोची समझी साजिश के तहत खड़ी की गई और इसके लिए इन चारों लड़कियों को इस्तेमाल किया गया। उन्होंने बताया कि हो सकता है कि यह किसी व्हाट्सएप ग्रुप से भी जुड़ी हुई हो, जहां से इनको यह बने हुए ट्वीट्स मिल रहे हैं

क्या है PFI

पीएफआई पर देश विरोधी काम और दंगा, धरने, प्रदर्शन भड़काने के आरोप लगते रहे हैं। दिल्ली में हुए CAA विरोधी आंदोलन, प्रदर्शन और उसके बाद दंगों में भी इसका हाथ बताया जाता रहा है। हाथरस में भी मामले को भड़काने के लिए पीएफआई ने काम किया था। फिलहाल सरकार ने PFI को बैन करने की तैयारियों में लगी हुई है। लेकिन पीएफआई अब सीएफआई के नाम से छात्रों के बीच में काम कर रहा है। बताया जाता है कि पीएफआई में काम करने वाले ज्यादातर वर्कर सिम्मी के वह लोग हैं, जोकि स्लीपर सेल के तौर पर काम करते रहे हैं।

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  1. Good work and thanks for exposing them.

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