Halal certificate: हलाल सर्टिफिकेट के जरिए मुस्लिम संगठनों (Muslim orgnization) की हो रही कमाई को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े होने शुरु हो गए हैं। हलाल सर्टिफिकेट ने नाम पर देश में बड़ा धंधा चल रहा है, जोकि इस सर्टिफिकेट के नाम पर मुस्लिम मीट कारोबारियों को ही बढ़ावा दे रहा है। इस सर्टिफिकेट में मुस्लिमों के हलाल मीट खाने पर सभी होटल्स और अन्य जगहों पर ये सर्टिफिकेट बेचा जा रहा है। इस सर्टिफिकेट की वजह से हिंदुओं के मीट कारोबारियों धीरे धीरे मीट कारोबार से ही बाहर हो रहे हैं। ऐसे में इस सर्टिफिकेट को लेकर देश के भीतर बड़ी बहस चल रही है।
BJP नेता कपिल मिश्रा ने इस मामले पर कहा है कि जो लोग मंदिर (Mandir) में मुस्लिमों को दुकान नहीं देने पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें पहले हलाल पर जवाब देना चाहिए। सोशल मीडिया (Social media) पर कपिल मिश्रा ने लिखा है कि जो लोग सभी का विकास चाहते हैं, उनको सबसे पहले हलाल सर्टिफिकेट खत्म करना चाहिए।
क्या है हलाल सर्टिफिकेट
इस सर्टिफिकेट के मुताबिक, जो लोग इस्लाम को मानते हैं, उनके हाथों से इस्लामी तरीके के काटे गए जानवर को ही ये सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इस तरीके में जानवर की गर्दन को थोड़ा सा काटकर उसे जिंदा रखा जाता है तबतक उसका पूरा खून उसके शरीर से ना निकल जाए। ऐसे में तड़प तड़पकर मारा जाने वाला जानवर ही हलाल सर्टिफिकट के काबिल माना जाता है। ख़ास बात ये है कि इस पूरे कारोबार में सिर्फ मुस्लिम ही आ सकते हैं। जो लोग इस तरह का मीट खाते भी हैं। वो भी इस्लाम को मानने वाला कहा जाता है। भारत में जमियत उल्मा ए हिंद ट्रस्ट इस सर्टिफिकेट को देता है। जोकि होटल, रेस्त्रां, एयरलाइंस, फूडप्रोसेसिंग यूनिट और अस्पतालों को हलाल का सर्टिफिकेट देता है। दुनियाभर में इस सर्टिफिकेट का मकड़जाल ऐसा फैला हुआ है कि ये कारोबार 600 अरब डॉलर का हो गया है।