New Team of Sansad TV: गुरदीप सप्पल के भर्ती लोगों का दबदबा, 2014 के बाद भर्ती पत्रकारों को चुन चुनकर लगाया ठिकाने

New Team of Sansad TV: लोकसभा और राज्यसभा टीवी के मर्जर के बाद बने संसद टीवी में 2014 के बाद भर्ती हुए पत्रकारों को किनारे लगा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक लोकसभा टीवी मे 2014 के बाद भर्ती हुए पत्रकारों को चुन चुनकर ठिकाने लगाया गया है। इसमें वरिष्ठता को तो नजरअंदाज किया ही गया है, बल्कि लोकसभा टीवी के एडिटर श्याम सहाय को तो एक तरह से डिमोट ही कर दिया है। लोकसभा टीवी के एडिटर श्याम सहाय को नए आर्डर में एडिटर हिंदी की पोस्ट दी गई है, जोकि लोकसभा टीवी की उनकी पोस्ट से तीन पायदान नीचे है। श्याम सहाय को आउटपुट एडिटर को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।

संसद टीवी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों को राज्यसभा के पूर्व प्रमुख गुरदीप सप्पल ने भर्ती किया था, उन लोगों को नए आर्डर में ख़ासा महत्व दिया गया है। संसद टीवी की नई टीम में एक्सिक्यूटिव एडिटर ओम प्रकाश को बनाया गया है, जोकि पूर्व राज्य सभा टीवी में कार्यकारी निर्माता थे। ओमप्रकाश पूर्व राज्यसभा टीवी प्रमुख गुरदीप सप्पल के करीबी माने जाते हैं। ओमप्रकाश को लोक सभा टीवी और राज्य सभा टीवी के विलय के बाद 6 महीनों तक कोई भूमिका नहीं दी गई थी, लेकिन अभी अचानक से इन्हें पूरे संसद टीवी का कार्यकारी संपादक बना दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी का विरोध करने वाले गुरदीप सप्पल लंबे समय तक राज्यसभा टीवी के सीईओ रहे और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के काफी करीबी रहे थे। सप्पल के नाम काफी विवाद भी रहे थे। ख़ासपर राज्यसभा के फंड को लेकर उनपर कई आरोप लगे थे। सप्पल ने वैंकेया नायडू के पद ग्रहण करते ही इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल सप्पल कांग्रेस के प्रवक्ता हैं।

नए आर्डर के मुताबिक संसद टीवी का इनपुट हेड अमित कुमार श्रीवास्तव को बनाया गया है। इनकी भर्ती भी गुरदीप सप्पल की वजह से ही हुई थी। साथ ही गांधी परिवार के साथ भी इनका करीबी नाता रहा है।

संसद टीवी में राजेश कुमार झा को आउटपुट हेड बनाया गया है, जोकि जेएनयू से संबंध रखते हैं, हालांकि इनकी भर्ती 2014 के बाद हुई है, लेकिन ये भी एंटी बीजेपी कैंप के माने जाते हैं।

सूत्रों के मुताबिक संसद टीवी के प्रशासनिक फेरबदल में अवर सचिव सुनील मिनोचा की खासी भूमिका रही है। वो लगातार पहले भी 2014 के बाद भर्ती पत्रकारों को भगवा और संघी कहते रहे हैं। इसके बाद से ही कई वरिष्ठ पत्रकारों चुनचुनकर किनारे लगाया गया है।

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