Muslims in UP: बीजेपी के जीतते ही मुस्लिम नेताओं ने बदली रणनीति, बीजेपी से मिलाया हाथ

Muslims in UP: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Vidhan Sabha Election) में बेशक मुस्लिमों ने एकजुट होकर पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को वोट दिया था, इसी वजह से मुस्लिम बहुल सीटों (Muslims seats) पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीते भी थे, लेकिन चुनावों में बीजेपी (BJP) के जीतते ही मुस्लिम समाज के राजनैतिक लीडर्स ने तुरंत पाला बदल कर बीजेपी का रूख कर लिया है। हाल ही में विधानपरिषद के चुनाव इसके गवाह हैं। समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद (Muradabad) मंडल में तो 27 में 17 सीटें जीत ली थी। इस पूरे मंडल में समाजवादी पार्टी के ज्यादातर विधायक भी मुसलमान ही बने थे। लेकिन, विधानसभा चुनावों के महीनेभर बाद ही हुए विधान परिषद चुनाव में मुसलमानों ने पाला बदल लिया है। इस चुनावों में वो बीजेपी के साथ आ गए और समाजवादी पार्टी की बजाए अपनी धुर विरोधी पार्टी बीजेपी के साथ आ गए हैं।

इस बदलाव की बानगी विधान परिषद की बरेली-रामपुर सीट के नतीजों से साफ होती है। इस सीट पर कुल 4880 मतदाता हैं, जिनमें 1796 मुस्लिम और 311 यादव हैं, यानि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को इन 2107 वोटों में से अधिकांश वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन समाजवादी प्रत्याशी मशकूर अहमद मुन्ना को मिले मात्र 401 वोट ही मिल सके, जबकि बीजेपी प्रत्याशी कुंवर महाराज सिंह को 4227 वोट मिले।

विधान परिषद के इन चुनावों में मुसलमानों ने अपनी रणनीति एकदम बदल गई। विधानसभा चुनाव में बीजेपी विरोध में समाजवादी पार्टी के साथ गए मुस्लिम अब बीजेपी के निकट आने की कोशिश में हैं। समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम यादव वोट बैंक के चलते इस बार विधानसभा में अपनी सीटें 111 तक पहुंचा दी थी, लेकिन अब स्थितियां बदल गई है।

सरकार बनते ही मुसलमान यह समझने लगा कि योगी सरकार का विरोध करने में कोई फायदा नहीं, बल्कि इसका नुकसान ही होगा। अगर अपने गांव और क्षेत्र का विकास कराना है तो योगी सरकार के साथ ही चलना होगा। इसी सोच के साथ ज्यादातर मुस्लिम जिला पंचायत  सदस्यों, ग्राम प्रधानों और सभासदों ने बीजेपी को वोट दिया है।

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट में, टांडा के नगर पालिकाध्यक्ष पति मकसूद लाला ने बताया कि मुसलमानों को अगर तरक्की करनी है तो समझदारी से काम करना पड़ेगा। बिना वजह से बीजेपी का विरोध करने से कोई फायदा नहीं है। हमने चुनाव से पहले ही सभी सभासदों के साथ मीटिंग कर बीजेपी को वोट करने की अपील की थी। इसका नतीजा भी सामने है। करीब 75 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता इस चुनावों में बीजेपी के साथ आ गया। समाजवादी पार्टी को 25 प्रतिशत ही मिल सका।

बताया जा रहा है कि मुस्लिमों में अब समाजवादी पार्टी की सियासी जमीन खिसकने लगी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक अली यूसुफ अली और अपना दल के नेता हमजा मियां ने ही चुनाव से पहले बीजेपी को वोट देने के लिए मुस्लिम मतदाताओं को तैयार कराया और बीजेपी के लोगों के साथ कई मीटिंग भी कराईं। ग्राम प्रधान संगठन के जिला महासचिव काशिफ खां ने भी बीजेपी का साथ दिया।

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