Rohingyas in Delhi: जहांगीरपुरी में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों का ये कोई का ये हमला कोई नया नहीं है, इससे पहले भी दिल्ली के सीलमपुर और शाहीनबाग इलाके में बांग्लादेशी और रोहिंग्या लूटपाट से लेकर दंगों में एक्टिव रहे हैं। पिछली बार सीएए के विरोध में दिल्ली के रास्तों को बंद करने और बाद में दंगे फैलाने में भी जहांगीरपुरी के बांग्लादेशी और रोहिंग्या का नाम पहले भी सामने आया था। जिस अंसार ने जहांगीरपुरी में सबसे पहले हंगामा करना शुरु किया था, वो औरतों और बच्चों को सीलमपुर और मुस्तफाबाद ले जाकर वहां धरने पर बैठाया करता था।
कौन लाता है बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को भारत
दरअसल भारत में रोहिंग्या लंबे समय से अपना ग्राउंड मज़बूत कर रहे हैं। ये बांग्लादेशियों के साथ भारत घुस आते हैं और फिर कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए अपने को UNHRC में रजिस्टर करा लेते हैं। बहुत सारे अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को लेफ्ट समर्थन वाले एनजीओ रजिस्टर कराते हैं। जो रोहिंग्या यहां रजिस्टर होते हैं, एडवोकेट प्रशांत भूषण और एडवोकेट कॉलिन ग्जोलविस खुद रोहिंग्या के मामलों में अक्सर कोर्ट में इनके पक्षकार के तौर पर पैरवी करते रहे हैं। इन्हीं से संबंधित कुछ एनजीओ UNHRC के इम्पैनल्ड हैं, जोकि रोहिंग्या को भारत में रिफ्यूजी का दर्जा दिलवाते हैं। यूपीए के समय में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन दस सालों में रोहिग्या और बांग्लादेशी असम से निकलकर पूरे भारत में फैल गए थे।