Sansad TV: संसद टीवी से सांसद गायब, पूर्व नौकरशाहों के लिए बना वरदान

Sansad TV: राज्यसभा और लोकसभा टीवी के मर्जर के बाद बने संसद टीवी की बहस से सांसद बाहर हो गए हैं, इनकी जगह अब पूर्व और वर्तमान नौकरशाहों ने ले ली है। सरकारी पैसे से चल रहा यह टीवी चैनल पर अब सांसद कम और पूर्व नौकरशाह ज्य़ादा नजर आते हैं। हालत ये है कि कृषि जैसे जनता से जुड़े मुद्दों पर भी बात करने के लिए सिर्फ वर्तमान और पूर्व नौकरशाहों को तवज्जों दी जाती है, बड़ी बात ये है कि संसद टीवी का पूरा सिस्टम ही उन लोगों के हवाले कर दिया गया है, जोकि राज्यसभा टीवी के पूर्व सीईओ और वर्तमान में कांग्रेस के प्रवक्ता गुरदीप सप्पल के द्वारा इस चैनल में लाए गए थेवो अब इस चैनल से सांसदों और जनता के मुद्दों से दूर कर रहे हैं।

रक्षा क्षेत्र पर चर्चा के कार्यक्रम में भी सांसद नदारद

लोकसभा और राज्यसभा टीवी के मर्जर के बाद से ही चैनल का स्वरूप एकदम बदल दिया गया। अब इस सरकारी टीवी पर भी ख़ान मार्केट गैंग का कब्ज़ा हो गया है, जिसमें हिंदी की जगह अंग्रेजी के विशेषज्ञों को ही तवज्जों दी जाती है। साथ ही चैनल से सांसदों का प्रतिनिधित्व लगभग गायब सा हो गया है। चैनल पर सांसदों को सिर्फ सैशन के समय ही बुलाया जा रहा है। इसको लेकर चैनल पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राज्यसभा और लोकसभा में संसद के मुद्दों को लेकर बनाया गए इस चैनल से सांसद ही गायब हो गए हैं। हालत ये है कि कृषि के एक्सपोर्ट के मुद्दे पर हुई बहस में भी किसी सांसद को नहीं बुलाया गया। रक्षा मुद्दों पर हुए कार्यक्रम से भी सांसद गायब रहे, पाकिस्तान के मुद्दे पर भी किसी सांसद को नहीं बुलाया गया, स्वास्थ्य पर हुए कार्यक्रम में भी किसी सांसद की शिरकत नहीं हुई। लेकिन हर कार्यक्रम में पूर्व नौकरशाहों को पर्याप्त स्थान दिया गया।

संसद के बजट से चल रहे इस चैनल पर यूपीए शासनकाल में ख़ास जगहों पर रहे विशेषज्ञों को भी ख़ासी तवज्जों दी जा रही है। मसलन पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम के समय उनके चीफ इकॉनामी एडवाइजर अरविंद विरमानी, धारा 370 हटाए जाने के खिलाफ कोर्ट जाने वाले पूर्व एचर चीफ मार्शल कपिल काक, सरकार के एक फरवरी को बजट पेश करने के मामले पर सवाल खड़े करने वाले बिजनेस स्टैंडर्ड के एडिटोरियल डायरेक्ट ए के भट्टाचार्या, रक्षा बिचौलियों के पक्षकार उदय भास्कर को भी संसद टीवी के कार्यक्रमों में स्थान दिया जा रहा है।

चैनल के एक प्रमुख व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि चैनल में हिंदी के लोगों की भारी उपेक्षा हो रही है। चैनल सिर्फ पूर्व नौकरशाहों का स्थान बन गया है। और तो और यहां पर सांसदों का एयरटाइम भी काफी कम हो गया है।

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