Terror Funding for attack on Hindus: टेरर फंडिंग से हुए थे हनुमान जयंती पर हमले?

Terror Funding for attack on Hindus: हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Jayanti) के दौरान जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के तार टेरर फंडिंग (Terror fundin in Jhangirpuri Riots) से जुड़े हुए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हिंसा के आरोपितों से पूछताछ के दौरान क्राइम ब्रांच (Delhi Crime Branch) को पता चला है कि हिंसा के लिए सुनियोजित साजिश बनाई गई थी, इसके लिए बकायदा विदेशी फंडिंग भी आई थी। यह फंडिंग किन संगठनों (Terror orgnization) से आई थी, इसकी जानकारी जुटाने के लिए पुलिस ने आरोपितों और उनके रिश्तेदारों के बैंक खातों की जांच कर रही हैं, साथ ही इनके हवाला कनेक्शन (Hawala connections) की जांच भी हो रही है।

दरअसल, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच गिरफ्तार आरोपितों को रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ कर रही है। आरोपितों से मिल रही जानकारी के आधार पर पुलिस हिंसा की साजिश में शामिल अन्य आरोपितों की धरपकड़ भी कर रही है।

वहीं, पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह से सीएए आंदोलन की वजह से हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे में टेरर फडिंग मिली थी। उसी तरह से हनुमान जयंति पर जहांगीरपुरी में पथराव में भी टेरर फंडिंग के सुराग मिले हैं। प्राथमिक जांच में जहांगीरपुरी हिंसा में भी उसी तरीके से फंडिंग की बात सामने आ रही है।

हालांकि इस बारे में अभी पुलिस अधिकारी अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं और अदालत में केस मज़बूत करने के लिए सुबूतों को जुटा रहे हैं। इसके लिए पुलिस गिरफ्तार आरोपितों, उनके रिश्तेदारों और दोस्तों के बारे में जानकारी जुटाकर उनके बैंक खातों की जांच कर रही है। पुलिस आरोपितों के मोबाइल की लोकेशन और काल डिटेल्स से जानकारियां जुटाकर जांच को आगे बढ़ा रही है।

पुलिस को गुमराह कर रहा है अंसार

पुलिस अधिकारियों के अनुसार अंसार पूछताछ से बचने की कोशिश में लगा हुआ है और बहुत ज्यादा सहयोग नहीं कर रहा है, लेकिन जितना अंसार ने बताया है उससे साफ है कि इस हिंसा का मास्टरमाइंड कोई और है और उसके निर्देशों पर हिंसा की साजिश रची। अंसार तो सिर्फ मोहरा था, जिसने खुद मौके पर आकर अंजाम भी दिया।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंसार, सलीम उर्फ चिकना, उसका भाई सोनू उर्फ यूनुस , गुलाम रसूल उर्फ गिल्ली सभी अनपढ़ हैं और छोटे मोट अपराधों में शामिल रहे हैं।

इनके आपराधिक रिकार्डों को देखने से इस आशंका को बल मिलता है कि हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हिंसा की साजिश रचने में इनका नहीं बल्कि किसी तीसरे मास्टरमाइंड का हाथ है। जिसने इन आरोपितों को फंड और हथियार उपलब्ध कराए हैं।

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