Press Club Election2022: 250 पत्रकारों से छिना वोटिंग का अधिकार, गैर पत्रकार बनें नए सदस्य

Press Club Election2022: दिल्ली के प्रेस क्लब के चुनावों (Delhi Press Club Election) ने नया रंग ले लिया है। इन चुनावों में पत्रकारों के हितैषी होने का दम भरने वाली प्रेस क्लब की कमेटी ने प्रेस क्लब के लगभग 250 सदस्य पत्रकारों को वोट देने पर ही रोक लगा दी है। साथ ही पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में नॉन जर्नलिस्ट को मैंबर (Non Journalist members in Press Club) बनाना इन चुनावों में बड़ा मुद्दा बन रहा है। हालांकि मामले के तूल पकड़ने के बाद क्लब की ओर से सदस्यों को कहा गया है कि वो वोटिंग वाले दिन भी अपना बकाया चुकाकर वोट दे सकते हैं। लेकिन 3 सालों से बकाये वालों की सदस्यता पर जुर्माने की तलवार लटका दी गई है।

दरअसल प्रेस क्लब के चुनावों से ठीक पहले क्लब के प्रबंधन ने पिछले तीन सालों से सालाना फीस नहीं जमा कराने पर करीब 250 लोगों के वोट देने पर रोक लगा दी है। साथ ही इन लोगों पर एक बड़ जुर्माने की बात भी कही जा रही है। दूसरी ओर पिछले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में गैर पत्रकारों को भी प्रेस क्लब की सदस्यता दी गई है। लेकिन जिन लोगों को सदस्य बनाया गया है, उनके बारे में क्लब में कोई पारदर्शिता नहीं बरतने के आरोप लग रहे हैं।

संयुक्त सचिव के पद पर चुनाव लड़ रहे एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जबकि दो सालों से कोरोना था, बहुत सारे पत्रकारों की नौकरियां चली गई और कुछ गांव या अपने दूर दराज इलाकों से काम कर रहे हैं तो ऐसे में चुनावों से ठीक पहले इस तरह सदस्यों को वोटिंग से वंचित करना, एक अलोकतांत्रिक कदम है। अगर वर्तमान कमेटी ने पत्रकारों के भले का जरा भी सोचा होता तो इस तरह के कदम नहीं उठाती।

इसी तरह क्लब के चुनाव में अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी ने बताया कि ये प्रबंधन चुपचाप फैसले लेता रहा है। क्लब में बड़ी संख्या में गैर पत्रकारों को सदस्य बनाया गया है। क्लब में 9 हज़ार से ज्य़ादा सदस्य हैं, इसमें 5 हज़ार सदस्य गैर पत्रकार है। कहा जाए तो प्रेस क्लब में पत्रकार माइनोरिटी हो गया है। ऐसे में आप नियमों की अवहेलना भी कर रहे हैं। कल को इसपर सरकार कोई खिलाफ फैसला लेती है तो आप सरकार को पत्रकार विरोधी कहेंगे, जबकि असली में तो पत्रकार विरोधी वो लोग हैं, जोकि पत्रकारों को वोटिंग के अधिकार से वंचित कर रहे हैं और गैर पत्रकारों को प्रेस क्लब में शराब पिलाने और वोट देने के लिए स्थान दे रहे हों।

इस बार चुनाव में जहां पिछली बार जीता वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा पैनल है, तो उनके सामने संजय बसाक पैनल और रास बिहारी पैनल ताल ठोंक रहा है। चुनाव लड़ रहे सभी पैनल पत्रकारों के दफ्तरों से लेकर उनके घरों तक जा रहे हैं।

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